Shivpuri news-किसान के बेटे ने किया कमाल पहले ही प्रयास मे यूपीएससी मे 13 वीं रैंक

शिवपुरी – अक्सर कहा जाता है कोशिस करने बालो की कभी हार नहीं होती ऐसा ही कर दिखाया है कोलारस तहसील के ग्राम सिंघारई निवासी गरीब किसान श्रीनिवास धाकड़ के 23 साल के बेटे जितेंद्र धाकड़ के पास यूपीएससी की तैयारी करने के लिए लाखों रूपये नहीं थे। पिता के पास सिर्फ 15 बीघा जमीन है, जिसमें दिन रात मेहनत करके वह बमुश्किल परिवार का पालन पोषण कर पाते हैं। ऐसे में यूपीएससी (इंजीनियरिंग) क्रेक कर अधिकारी बनने का सपना देखने वाले जितेंद्र ने गांव में रहकर यूपीएससी की तैयारी की और अपने पहले ही प्रयास में न सिर्फ यूपीएससी क्रेक की बल्कि ऑल इंडिया में 13वीं रैंक भी हासिल की है। गांव वालों का कहना है कि एक गरीब किसान के बेटे ने आज जो किया है उस पर आज न सिर्फ उसके माता-पिता और परिवार को बल्कि पूरे गांव को गर्व महसूस हो रहा है।

पुरानी कहावत है पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं, यह कहावत जितेंद्र पर पूरी तरह से सही चरितार्थ होती है। जितेंद्र ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल में की, पढ़ाई में जितेंद्र की लगन को देखते हुए एक शिक्षक ने उसे गांव में ही नवोदय विद्यालय की तैयारी करवाई। जितेंद्र ने जब परीक्षा दी तो उसका चयन नवोदय विद्यालय में हो गया और वहां उसकी शिक्षा-दीक्षा सरकारी खर्च पर हुई। नवोदय विद्यालय में रहते हुए जितेंद्र ने बारहवीं गणित विषय के साथ 94 प्रतिशत अंक लाकर उतीर्ण की और वह टॉपर रहा। इसी दौरान उसने आइआइटी की तैयारी के लिए होने वाली एक परीक्षा दी और वह पूरे भारत में टॉप-100 में शामिल हुआ। आइआइटी रूढ़की में रहकर उसने सरकारी खर्च पर आईआईटी की तैयारी की और इसके बाद आईआईटी मुम्बई से बीटेक और एमटेक सरकारी खर्च पर एक साथ किया। इसी दौरान उसे लगा कि उसे यूपीएसई की परीक्षा देनी चाहिए, लेकिन उसके पास यूपीएससी की तैयारी करने के लिए कोचिंग की फीस नहीं थी। लॉक डाउन के चलते जितेंद्र लौट कर अपने गांव सिंघारई आ गया, लेकिन उसने जो सपना फायनल ईयर में देखा उसे टूटने नहीं दिया। गरीब परिवार से होने के बावजूद उसने गांव में रहकर ही सेल्फ स्टडी करते हुए यूपीएसी की तैयारी की, वर्ष 2021 में एग्जाम दिया। अब जो रिजल्ट आया उसने सबको अचंभित कर दिया है।
पिता खेती करते हैं, भाई एक प्रायवेट अस्पताल में नौकरी

जितेंद्र अपने पिता की तीन संतानों में सबसे छोटे हैं। पिता खेती-किसानी करके किसी तरह घर परिवार का पालन पोषण करते हैं, बहन की शादी कर दी है और वह अपनी ससुराल में चौका-चूल्हा देखती है। बड़ा भाई शिवपुरी के एक निजी अस्पताल में नौकरी कर परिवार को चलाने में पिता की मदद करता है। ऐसे परिवार से निकलकर जितेंद्र ने यह मुकाम हासिल किया है, जितेंद्र कहते हैं कि अगर आप का विजन क्लीयर है और लक्ष्‌य पर नजर है तो आप कुछ भी हासिल कर सकते हैं।

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