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शिवपुरी कोरोना संकट के चलते इस बार भी भगवान श्रीराम की भव्य विशाल रैली का आयोजन नही किया जायेगा सामूहिक आयोजन न होने के कारण राम भक्त घरों पर रहकर भगवान के प्राकट्योत्सव समय दोपहर 12 बजे शंखनाद कर खुशी मनाएंगे।
9 वर्ष बाद चैत्र मास शुक्ल पक्ष की नवमी को एक बार फिर भगवान श्रीराम के प्राकट्योत्सव पर मंगलकारी योग बन रहा है। यह योग लोगों के लिए शुभकारी होगा। इसी के साथ नवरात्र पर्व का समापन हवन-पूजन के साथ होगा। कोरोनाकाल के कारण सामूहिक आयोजन न होने के कारण राम भक्त घरों पर रहकर भगवान के प्राकट्योत्सव समय दोपहर 12 बजे शंखनाद कर खुशी मनाएंगे। इसी के साथ नवरात्र के समापन पर देवी मंदिरों में हवन-पूजन और जवारों का विसर्जन किया जाएगा।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान श्रीराम का जन्म कर्क लग्न और अभिजीत मुहूर्त में मध्यान्ह 12 बजे हुआ था। संयोगवश इस दिन अश्लेषा नक्षत्र, लग्न में स्वग्रही चंद्रमा, सप्तम भाव में स्वग्रही शनि, दशम भाव में सूर्य, बुध और शुक्र है और दिन बुधवार रहेगा। ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ दुबे ने बताया कि ग्रहों की यह स्थिति इस दिन को अति मंगलकारी बनाएगी। यह संयोग इससे पहले वर्ष 2013 में बना था।
दोपहर में शुरू होगी नवमी तिथि : चैत्र नवरात्रि नवमी तिथि का प्रारम्भ 21 अप्रैल को 12:43 बजे से 22 अप्रैल को 12:47 बजे तक, रामनवमी की पूजा और हवन के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 51 मिनट से दोपहर 1 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। राम नवमी मध्याह्न समय : दोपहर 12 बजकर 32 मिनट पर रहेगी।
मंदिरों में होगा पारंपरिक पूजन : भगवान के प्राकट्योत्सव पर मंदिरों में पारंपरिक रूप से पूजन किया जाएगा। श्री शिव शक्ति राम मंदिर सरस्वती कालोनी चेरीताल में भगवान श्रीराम जन्मोत्सव पर विशेष श्रृंगार कर सुबह अभिषेक, पंचोपचार पूजन, पुष्पार्चना के साथ, जन्म आरती के पश्चात हवन और प्रसाद वितरण किया जाएगा।