Gwalior:कमलाराजे चैरिटेबल ट्रस्ट बनाम मध्यप्रदेश शासन केस का मामला शासन की ओर से पैरवी कर रहे शासकीय अधिवक्ता को हटाया

@अंशुल मित्तल। ग्वालियर की जिला एवं सत्र न्यायालय में लंबित कमलाराजे चैरिटेबल ट्रस्ट बनाम मध्यप्रदेश शासन केस में शासन की ओर से पैरवी कर रहे शासकीय अधिवक्ता घनश्याम मंगल को वर्णित केस से हटाया गया। अब इस केस में शासन की ओर से पैरवी करने के लिए शासकीय अधिवक्ता गिरीश शर्मा को नियुक्त किया गया है। शासकीय अधिवक्ता घनश्याम मंगल के विरुद्ध, लिखित शिकायत की गई थी जिसमें लिखा गया था कि अधिवक्ता घनश्याम मंगल द्वारा सही पैरवी ना करते हुए प्रकरण में शासन का पक्ष कमजोर किया गया, जिसके कारण शासन पर न्यायालय द्वारा जुर्माना लगाया गया और साथ ही अन्य महत्वपूर्ण तथ्य भी छुपाए गए, यह लिखित शिकायत एडवोकेट संकेत साहू द्वारा मध्यप्रदेश शासन विधि और विधायी कार्य विभाग भोपाल समेत अन्य अधिकारियों को दी गई थी, इसके बाद ग्वालियर कलेक्टर ने मध्यप्रदेश शासन विधि और विधायी कार्य विभाग भोपाल के पत्र का हवाला देते हुए अधिवक्ता घनश्याम मंगल को केस से हटाए जाने और शासकीय अधिवक्ता गिरीश शर्मा को नियुक्त किए जाने का आदेश जारी किया।

कमलाराजे चैरिटेबल ट्रस्ट बनाम म.प्र. शासन केस
कमलाराजे चैरिटेबल ट्रस्ट ने वर्ष 2018 में न्यायालय में दावा पेश किया, जिसमें कहा गया कि वर्तमान में ग्वालियर में जिस भूमि पर एजी ऑफिस पुल बना है वह ट्रस्ट की भूमि है, एजी ऑफिस पुल का निर्माण सन् 1987 में शुरू किया गया और सन् 1991 में किसका शुभारंभ किया गया । 4 जून 2018 को किए गए मुआवजे के दावे में तर्क दिया गया कि शासन द्वारा ट्रस्ट की भूमि पर एजी ऑफिस पुल का निर्माण किया गया और लोक निर्माण विभाग द्वारा बनाई गई सड़क में भी ट्रस्ट की संपत्ति के साथ-साथ निजी संपत्ति पर भी अतिक्रमण किया गया। दावा पेश करते हुए कमलाराजे चैरिटेबल ट्रस्ट ने 7 करोड़ 55 हजार रुपए मुआवजे की मांग 12% ब्याज दर के साथ की है। उल्लेखित है कि वादग्रस्त भूमि सन 1971 में विजयराजे सिंधिया द्वारा ट्रस्ट को सौंपी गई थी, वर्तमान में ट्रस्ट की चेयरपर्सन माधवीराजे सिंधिया हैं और ट्रस्टी के पद पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रियदर्शनीराजे सिंधिया हैं।

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