Gwailr-ए.सी. कमरों में, बैठकों तक सीमित एंटी माफिया मुहिम,शासकीय जमीनों पर कब्जा करने वाले बेखौफ

अंशुल मित्तल@ ग्वालियर। प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान प्रदेश की जनता से भू माफिया पर लगाम लगाने का वादा करते हैं, लेकिन प्रशासन और जिम्मेदार अधिकारी एंटी माफिया अभियान के तहत कई अभियानों के नाम पर करते हैं सिर्फ बैठकें, यूं तो इन बैठकों में माफी एवं शासकीय भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराए जाने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा दिशा निर्देश दिए जाते हैं लेकिन यह दिशानिर्देश केवल उस बैठक तक ही सीमित रहते हैं, कई मामलों में एंटी माफिया अभियान और वरिष्ठ अधिकारियों के दिशा निर्देशों का, जमीनी स्तर पर कुछ उल्टा ही असर देखने को मिलता है! सूत्रों द्वारा ज्ञात है कि भू माफिया पर कार्यवाही करने वाले जिम्मेदार अफसरों ने कार्यवाही ना करने के एवज में अवैध अतिक्रमण की गई भूमि में से कुछ प्लॉट ही अपने नाम करा लिए हैं। आपको उदाहरण के तौर पर बताते हैं ऐसे कुछ मामले जिन पर लिखित शिकायत होने के बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा पर्दा डाला जा रहा है-
पहला मामला– सिटी सेंटर ग्राम ओहदपुर के शासकीय सर्वे क्रमांक 201 मे से तकरीबन 15000 वर्ग फुट भूमि टीएंडसीपी और अन्य विभागों को नवीन कार्यालय बनाने हेतु शासन द्वारा आरक्षित की गई है और वर्तमान शासकीय खसरे में भी यह नाम अंकित कर दिया गया है, लेकिन आरक्षित जमीन के एक बड़े हिस्से को भूमाफिया द्वारा बाउंड्री वॉल बनाकर कब्जा कर लिया गया जिसकी लिखित शिकायत वर्ष 2022 में सभी जिम्मेदारों को दी जा चुकी है लेकिन जिम्मेदार अफसर कार्रवाई करने की जगह एक दूसरे के सर पर टोपी रखते दिखाई दे रहे हैं।
दूसरा मामला- नगर निगम के वार्ड क्रमांक 32 के अंतर्गत रेलवे क्रॉसिंग से लगी हुई माफी औकाफ की करोड़ों रुपए मूल्य की संपत्ति भूमाफिया द्वारा नोटरी कर बेच दी गई, और वर्तमान में भी यह बंदरबांट जारी, इस मामले में एक वीडियो स्टिंग भी सामने आया जिसमें भूमाफिया द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि “मैंने तो क्षेत्र के आर.आई. को उसी जमीन में से प्लॉट दे दिया है” हालांकि हम इस दावे की पुष्टि नहीं करते लेकिन कहीं ना कहीं यह दावा सही मालूम होता है क्योंकि क्षेत्र के आर.आई. महेश ओझा द्वारा भू माफिया कुशवाह परिवार पर आज दिनांक तक कोई कार्यवाही नहीं की गई, सूत्रों से ज्ञात है कि माफी औकाफ की इस संपत्ति में कुछ पुलिसकर्मियों ने भी सस्ते भाव में जमीन खरीद कर बहती गंगा में हाथ धोया है। शायद इन्हीं कारणों के चलते शहर भर की शासकीय और माफी औकाफ की जमीने धीरे-धीरे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती जा रही हैं। और जिम्मेदार साधे हुए हैं चुप्पी।


इनका कहना है
टीएनसीपी कार्यालय के लिए आरक्षित की गई संपत्ति पर अवैध कब्जे की शिकायत मिली है, इस मामले पर टीएनसीपी विभाग को भी तो कुछ कार्यवाही या पत्र व्यवहार करना चाहिए, हम ही सब कुछ कैसे कर सकते हैं।
शिवदत्त कटारे, तहसीलदार, ग्वालियर

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