Gwalior news:सीएमएचओ साहब का बड़ा कारनामा,लैब टेक्नीशियन को बना दिया अधीक्षक

@अंशुल मित्तल ग्वालियर। खबर ग्वालियर के स्वास्थ्य विभाग से है जहाँ पर जिम्मेदारों द्वारा लापरवाही करना और घोटालेबाजों को शरण देने जैसी प्रक्रिया, पिछले कई सालों से, रिवाज के तौर पर स्थापित हो चुकी है। अधिकारियों पर भाजपा शासन की ढीली लगाम के कारण ही कांग्रेस नेताओं को मौका मिला और अब स्वास्थ्य विभाग के घोटालों के सवाल विधानसभा के मानसून सत्र में सुनाई दे सकते हैं! शासन की इस ढील के कारण ही, शासन के अधीन काम करने वाले अधिकारी, शासकीय आदेशों का हवाई जहाज बनाते हैं और करते हैं अपनी मनमानी।
मामला ग्वालियर के सीएमएचओ कार्यालय का है जहां सीएमएचओ डॉ आरके राजोरिया ने शासन के आदेशों और नियमों को ताक पर रखकर लैब टेक्नीशियन रणवीर सिकरवार को कार्यालय अधीक्षक का पद सौंप दिया। मतलब यह कि अब जिला स्तर पर आने वाली हर फाइल सबसे पहले लैब टेक्नीशियन स्तर के कर्मचारी की टीप लगने के बाद आगे बढ़ाई जाएगी, जिनमें आर्थिक मामले और वरिष्ठ डॉक्टरों के मामले भी शामिल होंगे। यहां आपको बता दें कि शासन द्वारा इस जिला कार्यालय में अधीक्षक जैसा कोई पद स्वीकृत ही नहीं किया गया और यदि ऐसा कोई पद होता भी तो यह एक प्रशासनिक पद होता जिस पर नियुक्ति किए जाने की शर्तें वर्ष 2023 के राजपत्र में उल्लेखित हैं।

शासन के आदेश और नियम

पहले आपको बता दें कि जिला स्तर के कार्यालय में यह पद स्वीकृत ही नहीं है। यह एक प्रशासनिक पद है, वर्ष 2023 में जारी गजट नोटिफिकेशन के अनुसार किसी व्यक्ति को प्रशासनिक पद का प्रभार सौंपते वक्त विभिन्न शर्तों का पालन करना जरूरी था जिसमें कर्मचारी का वेतनमान और कार्यानुभव प्रमुखता से वर्णित है। साथ ही संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं मध्यप्रदेश शासन के वर्ष 2018 के आदेश अनुसार किसी भी पैरामेडिकल स्टाफ लैब टेक्नीशियन आदि का संलग्नीकरण नहीं किया जा सकेगा आदेश में यह भी उल्लेखित है कि “संचालनालय के संज्ञान में यदि ऐसा मामला आता है तो कर्मचारी को दिए गए वेतन भत्ते की वसूली आपके वेतन से करते हुए अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी”। इस आदेशानुसार प्रशासन द्वारा ग्वालियर के सीएमएचओ डॉ आरके राजोरिया पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जानी चाहिए।

आपको बता दें कि लैब टेक्नीशियन रणबीर सिकरवार और वर्तमान सीएमएचओ डॉ. आरके राजोरिया मेला ग्राउंड के नजदीक एक ही स्वास्थ्य केंद्र पर वर्षों तक साथ काम कर चुके हैं, ऐसे में साहब द्वारा ऐसा आदेश जारी करना, दोस्ती निभाने जैसा प्रतीत होता है। साथ ही विभागीय सूत्र बताते हैं कि हर बार, नया अधिकारी अपने सिस्टम में सेट होने वाले लोगों को मलाईदार चार्ज सौंपता है, लेकिन नए साहब ने अपने एक पुराने दोस्त को ही सबसे ऊपर बैठा दिया ताकि हर बात के लिए अलग-अलग लोगों से हिसाब किताब ना करना पड़े। बात चाहे कुछ भी हो, मामला नियमों की अनदेखी और भारी पक्षपात का स्पष्ट होता है। हालांकि खबर लिखे जाने तक यह मामला ग्वालियर कलेक्टर के संज्ञान में पहुंच चुका है।

जवाब नहीं दे पाए सीएमएचओ
मामले पर जब सीएमएचओ से बात की गई तब वह कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए।

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