ग्वालियर: नगर निगम में भ्रष्टाचार को उजागर करते दस्तावेज

संपत्ति कर नामांकन प्रकरण किया जाता है निरस्त बिना शर्तें पूरी किए उसी प्रकरण को कर दिया जाता है स्वीकृत असली नोटशीट कर दी जाती है गायब

ग्वालियर नगर निगम अधिकारियों द्वारा यह जा रहे भ्रष्टाचार का एक नया मामला सामने आया है इसमें संपत्ति का नामांतरण की फाइल को पहले कुछ ना कुछ कमी बताकर नामांतरण निरस्त कर दिया जाता है, और कुछ समय बाद उसी प्रकरण को स्वीकृत कर नामांतरण कर दिया जाता है, और ओरिजिनल नोटशीट कर दी जाती है गायब, खबर में उदाहरण के तौर पर एक मामला आपको दिखाया जा रहा है जिसके सभी दस्तावेज सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के द्वारा प्राप्त किए गए हैं,

ऐसे होता है भ्रष्टाचार नगर निगम के संपत्ति कर विभाग में रिश्वत का लेन देन किस तरह से किया जाता है आपको बताते हैं, वीडियो में दिखाए जा रहे यह दस्तावेज वर्ष 2018 में स्वीकृत की गई नामंत्रण की नोटशीट है, यह फाइल क्षेत्र के तत्कालीन एपीटीओ रमेश शर्मा के हस्ताक्षर से स्वीकृत की गई, इस पूरी फाइल में नामंत्रण निरस्त किए जाने का कोई दस्तावेज सूचना अधिकार में उपलब्ध नहीं कराया गया, अब दूसरे कागज पर नजर डालिए यह नोटशीट भी उसी प्रकरण क्रमांक और उसी आवेदक के नामंत्रण की है जिसमें वर्ष 2017 में क्षेत्र के तत्कालीन एपीटीओ रमेश शर्मा और तत्कालीन उपायुक्त द्वारा यह लिखकर निरस्त किया गया कि नजूल एनओसी ना होने के कारण नामंत्रण निरस्त किया जाता है,

स्वीकृति के वक्त नहीं की शर्तें पूरी यहां सवाल पैदा होता है कि जब वर्ष 2017 में यह लिखा गया था कि नजूल एनओसी ना होने के कारण नामंत्रण निरस्त किया जाता है तो फिर नजूल एनओसी ना मिलने के बावजूद वर्ष 2018 में नामंत्रण स्वीकृत कैसे कर लिया गया और प्रकरण में से मूल नोटशीट क्यों गायब कर दी गई ?

अधिकारी कर रहे बचाव
पूरे मामले में साफ है कि पहले तो फाइल को निरस्त कर आवेदक पर रिश्वत दिए जाने का दबाव बनाया जाता है और रिश्वत मिल जाने पर फाइल को स्वीकृत कर दिया जाता है और गायब कर दी जाती है मूल नोटशीट । मामले के बारे में जब वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत की गई तब वह अपने अधिनस्थ कर्मचारी और अधिकारियों के भ्रष्टाचार पर पर्दा डालते नजर आए,


मामले के संबंध में तबादलाशुदा अपर आयुक्त आरके श्रीवास्तव ने मामले को डालते हुए जांच किए जाने की बात कही जबकि महोदय के सामने इन्हीं के विभाग से सत्यापित किए गए दस्तावेज रखे गए थे, और यहां आपको बता दें कि आरके श्रीवास्तव अपर आयुक्त का ट्रांसफर जून 2021 में नगरीय प्रशासन आयुक्त निकुंज श्रीवास्तव और तत्कालीन नगर निगम कमिश्नर शिवम वर्मा द्वारा किया जा चुका है इसके बाद भी यह नगर निगम में अपार आयुक्त का पदभार संभाले हुए हैं जबकि इन्हें भार मुक्त किए जाने के आदेश जून 2021 में जारी किए जा चुके हैं.. और एपीटीओ रमेश शर्मा अगले महीने सेवानिवृत्त हो रहे हैं ,

ऐसे मामलों को देखते हुए साफ है कि नगर निगम में भ्रष्टाचार किसी एक कर्मचारी या अधिकारी के द्वारा नहीं किया जाता बल्कि पूरा सिस्टम में काम करता है।

Share this:

Leave a Reply