Shivpuri news: तात्या के वंशजों ने लगाए आरोप, तात्या टोपे के बलिदान भूल रही है मध्यप्रदेश सरकार,लगातार की जा रही है उपेक्षा

शिवपुरी। आज तात्या टोपे का बलिदान दिवस है। आज ही के दिन यानी 18 अप्रैल 1859 को वीर शहीद तात्या टोपे को अग्रेंज सरकार ने शिवपुरी में फांसी की सजा दी थी। जिसके चलते आज प्रशासन ने तात्याटोपे स्मृति पर दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया है। परंतु इस कार्यक्रम के बीच तात्या के बंशजों ने प्रशासन पर उपेक्षा का आरोप लगाया है।

शिवपुरी आए तात्या टोपे के प्रपौत्र सुभाष टोपे ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि आज देश आजादी की 75 वीं वर्षगांठ मना रहा है लेकिन जिन लोगों ने देश की आजादी में अपने प्राण न्यौछावर किए अपना बलिदान दिया उन्हें ही देश की सरकारें भूल रही हैं और प्रशासनिक अधिकारी उपेक्षा कर रहे हैं। ग्वालियर से तात्या टोपे को उनके बलिदान दिवस पर श्रद्धासुमन अर्पित करने के लिए आए सुभाष टोपे ने कहा कि शिवपुरी में अभी तक तात्या टोपे के बलिदान स्थल को बड़े स्मारक के रूप में विकसित नहीं किया गया है।

थम स्वतंत्रता संग्राम की क्रांति के महानायक तात्या टोपे के बलिदान दिवस पर उनकी उपेक्षा से उनके परिजन नाराज हैं। मध्य प्रदेश के शिवपुरी में 18 अप्रैल को वीर शहीद तात्या टोपे का बलिदान दिवस मनाया जाता है। अंग्रेजों ने 18 अप्रैल 1859 को तात्या टोपे को शिवपुरी में ही फांसी दी थी। लेकिन शिवपुरी में प्रशासनिक उपेक्षा के चलते शहीद तात्या टोपे के बलिदान को याद करते हुए जो कार्यक्रम होने चाहिए वह नहीं हो रहे हैं। प्रदेश में अब तक तात्या टोपे की याद में कोई बड़ा स्मारक भी नहीं बनाया गया है। इसी को लेकर तात्या टोपे के परिजनों में नाराजगी है।

आज भी शिवपुरी में सड़क पर प्रतिमा खड़ी हुई जो कि धूल खा रही है। इसके अलावा बलिदान दिवस पर जिस स्तर का कार्यक्रम होने चाहिए वह नहीं होते। पूर्व में तात्या टोपे के हथियारों की प्रदर्शनी व छायाचित्र यहां पर लगते थे लेकिन अब नहीं है। इसके अलावा उन्हें भी पूर्व में बलिदान दिवस पर होने वाले कार्यक्रम में जिला प्रशासन द्वारा बुलाया जाता था, लेकिन उन्हें अब बुलाया नहीं जा रहा है। शिवपुरी में 18 अप्रैल बलिदान दिवस पर उन्होंने स्वयं के खर्च से अपने परिवार के बलिदानी तात्या टोपे को याद करते हुए यहां श्रद्धांजलि देने आए हैं।

वहीं आर्यावत फाउंडेशन के अध्यक्ष व समाजसेवी नितिन शर्मा ने भी मांग रखी कि भारत की आजादी और प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन में तात्या टोपे का जो बलिदान है उसे नई पीढ़ी याद रखे इसलिए यहां पर नए स्वरूप में बड़ा स्मारक जरूर बनना चाहिए। साथ ही इस पार्क के निर्माण में भी प्रशासन रूचि नहीं दिखा रहा। 

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