अंशुल मित्तल@ग्वालियर।प्रदेशभर में नगरीय निकायों का संपूर्ण डाटा रखने वाले सर्वर ई नगर पालिका पर रैनसमवेयर अटैक के बाद एक तरफ करदाताओं पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पढ़ रहा है, संपत्तिकर कर्मचारियों को टैक्स वसूली के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। वहीं दूसरी ओर, नगर निगम में कार्यरत कुछ घोटालेबाजों को इस साइबर अटैक का लाभ भी हुआ है। निगम के जिम्मेदार मामले की गंभीरता को छुपाते हुए डाटा रिकवर करने के दावे और आश्वासन भी दे रहे हैं और निगम कर्मचारियों को ट्रांसफर का हंटर दिखाकर बिना रिकॉर्ड के टैक्स वसूली करने के लिए फील्ड में दौड़ाया जा रहा है।
दरअसल नगर निगम में जल करदाताओं के साथ संपत्ति करदाताओं और उनसे की गई समस्त वसूली का रिकॉर्ड, ई-नगर पालिका वेबसाइट पर दर्ज किया जाता रहा है है और इसी रिकॉर्ड के आधार पर संपत्ति कर जैसे आदि करों की वसूली आमजन से की जाती है। दिसंबर 2023 में हैकर द्वारा रैनसमवेयर वायरस अटैक कर इस सर्वर को हैक कर लिया गया। जैसा कि नाम से ही मालूम होता है, यह फिरौती मांगने का डिजिटल तरीका है ! सरकार के सभी जिम्मेदार और डिजिटल एक्सपर्ट न सिर्फ इस वायरस अटैक को रोकने में बल्कि महीनों तक इसका तोड़ निकालने में भी नाकामयाब रहे। लिहाजनगर निगम के पास से संपूर्ण करदाताओं का रिकॉर्ड जाता रहा और फिर निगम में शुरू हुई ऑफलाइन यानी की हाथ से बनाई जाने वाली रसीदों का उपयोग कर वसूली करने वाली प्रणाली। कर संग्रहकों और संपत्ति कर कर्मचारियों द्वारा करदाताओं के पास उपलब्ध रसीदों के आधार पर टैक्स लेने के सिवा अब कोई चारा नहीं बचा था और जिन करदाताओं से पुरानी टैक्स रसीदें गुम हो गई हैं उनसे डबल भुगतान की मांग की जाने लगी। जिसके कारण कई करदाताओं ने संपत्ति कर देने से ही मना कर दिया और कुछ को इस अव्यवस्था के कारण अतिरिक्त आर्थिक बोझ उठाना पड़ा।
भ्रष्टाचारियों को मिला रैनसमवेयर अटैक का लाभ!
ऐसा नहीं है कि इस वायरस अटैक से सभी को नुकसान हुआ हो। गौरतलब है कि नगर निगम में कार्यरत जादूगरों द्वारा कई शासकीय और अन्य संपत्तियों की फर्जी संपत्तिकर आईडी बनाई गईं, जिनकी समय-समय पर लिखित शिकायतें और सूचना भी वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई, हालांकि वे सभी जिम्मेदार अधिकारी जांच का बहाना बनाते हुए दोषियों को बचाते रहे लेकिन अब, जबकि नगर निगम से संपत्तिकर का काफी सारा महत्वपूर्ण डाटा ही गायब हो चुका है, तो अब शायद इन जादूगरों को, अधिकारियों की मेहरबानी की आवश्यकता भी नहीं रही। अब क्या फर्जी और क्या असली ?
हालांकि एक सरकारी फरमान के तहत ऑफलाइन काटी गई सभी टैक्स की रसीदों को, ऑनलाइन चढ़ाए जाने का आदेश देते हुए, यह दावा किया गया है कि ई-नगर पालिका का सर्वर अब शुरू हो चुका है, लेकिन वसूली के दबाव के चलते फील्ड में दौड़ते संपत्तिकर कर्मचारी दबी जुबान में सच्चाई बयां कर रहे हैं। और सच्चाई है कि यह है कि इस नए सर्वर पर वर्ष 2018-19 के बाद, लगभग 5 वर्ष का रिकॉर्ड उपलब्धि नहीं है!