शिवपुरी में वन भूमि पर झोपड़ी बनाकर रह रहे आदिवासियों की हटाने कोलारस पुलिस के साथ पहुंचे वनकर्मियों और आदिवासियों के बीच विवाद हो गया हैं। इस दौरान आदिवासियों पर लाठियां भांजी गई, वहीं आदिवासियों ने भी टीम पर पथराव किया। इस झगड़े में आदिवासी महिलाओं सहित उनके बच्चों को भी चोट आई हैं। घटना मंगलवार के दोपहर तीन बजे की हैं।
इस झगड़े के कुछ वीडियो भी सामने आए हैं। जिसमें पुलिस और वनकर्मी आदिवासियों में लाठी भांजते हुए नजर आ रहे हैं। वहीं बच्चों को लाठी के बलबूते पर दौड़ाया जा रहा हैं। वहीं एक आदिवासी महिला हाथ में पत्थर लेकर वनकर्मियों से झगड़ती दिख रही हैं। इस झगड़े के बाद वन विभाग और आदिवासियों ने एक दूसरे की शिकायत कोलारस थाने में दर्ज कराई हैं।
कॉलर पकड़कर फाड़ी वर्दी
कोलारस वन परिक्षेत्र के सनवारा बीट के कक्ष क्रमांक 128, 129 में वन विभाग प्लांटेशन का काम कर रहा है। कार्यवाहक वनपाल गिरीश नामदेव का कहना हैं कि जिस स्थान पर आदिवासी रह रहे थे। वह निर्माणाधीन वृक्षारोपण की जमीन थी। वृक्षारोपण के विस्तार के लिए आदिवासियों की झोपड़ी हटाने के निर्देश मिले थे। टीम मौके पर पहुंची हुई थी, लेकिन आदिवासी परिवार झोपड़ी हटाने के नाम पर भड़क गए और मारपीट पर उतारु हो गए। उन्होंने मेरी कॉलर पकड़कर वर्दी फाड़ दी। आदिवासियों ने अमले पर पथराव भी किया था। इस पथराव में बीट गार्ड रामचरण केवट, दिनेश सहरिया घायल हुए हैं।
बता दें, कि इस वन भूमि पर सालों से 7-8 आदिवासी परिवार झोपड़ी बनाकर रहते आ रहे हैं। वहीं मंगलवार को वन विभाग का उड़नदस्ता, कोलारस थाना पुलिस बल को लेकर सनवारा बीट क्षेत्र में पड़ने वाले मोरई गांव में झोपड़ी बनाकर रह रहे इन्हीं परिवारों को हटाने पहुंचा था।
महिलाओं और बच्चों के साथ मारपीट का आरोप
मंगलवार की शाम मोरई के आदिवासियों ने कोलारस थाना में पहुंचकर उनके साथ हुई मारपीट की शिकायत दर्ज कराई हैं। आदिवासी महिलाओं का कहना था कि वनकर्मियों सहित पुलिसकर्मियों ने मिलकर महिलाओं और बच्चों के साथ बेरहमी से मारपीट की हैं। कृष्णा आदिवासी ने बताया कि मौके पर वन अमला झोपड़ी हटाने पहुंचा था। सभी आदिवासी परिवार जगह खाली करने को तैयार थे। उनसे झोपड़ी हटाने के लिए थोड़ा समय मांगा गया था। जिससे वह अपने सामान सहित झोपड़ी के सामन को दूसरी जगह ले जा सके, लेकिन वनकर्मी झोपड़ी तोड़ने पर उतारु थे।
कृष्णा ने बताया कि उसने वन विभाग के बड़े बाबू को झोपड़ी तोड़ने के लिए मना किया था, लेकिन बड़े बाबू मेरे बाल पकड़कर उसे लात मार दी। जिससे उसका एक हाथ टूट गया था। इसके बाद वनकर्मियों ने लाठियों से हमला बोल दिया। सभी आदिवासी परिवारों के साथ बेरहमी से मारपीट की
वनकर्मी एवज में लेते थे मुर्गा और बकरा
आदिवासियों ने बताया कि वह वन भूमि की कुछ बीघा जमीन पर खेतीबाड़ी कर लेते थे। इसके एवज में वनकर्मी उनसे फ्री में मजदूरी और मुर्गा, बकरा से लेकर पैसे लेते थे। क्षेत्र में सैकड़ों बीघा जंगल की जमीन पर दबंग अतिक्रमण कर उसे जोत रहे हैं। कुछ माह जिस जमीन पर आदिवासी परिवार थोड़ी बहुत फसल कर परिवार पालते थे। उस जमीन को क्षेत्रीय दबंगों के कहने पर खाली करा लिया गया। तब से झोपड़ी बनाकर मजदूरी कर जैसे तैसे अपना पेट पाल रहे थे, लेकिन वन विभाग ने झोपड़ियों को तोड़कर उन्हें बेघर कर दिया। उन्हें आवास योजना का लाभ तक नहीं मिला हैं।