शिवपुरी। खबर शिवपुरी सर्किल जेल से है जहाँ जेल सुरक्षा में सेंध लगाने वाली खबर आ रही हैं कि कोलारस बैंक घोटोले में बंद महिला आरोपी के पास से एक मोबाइल मिलने जैसी घटना सामने आ रही हैं। इस मामले में जेलर का कहना है कि मोबाइल नही मिला हैं केवल चार्जर मिला हैं। जेलर के इसी बयान ने पुष्टि कर दी कि चार्जर मिला हैं,मोबाइल के अकेले चार्जर का क्या काम हो सकता है। फिलहाल मामले की जांच की बात कही जा रही हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार गुरूवार को शिवपुरी जेल में महिला बंदियों में झगड़ा हो गया था। यह झगड़ा देखते ही देखते इस हद तक पहुंच गया कि महिलाओं ने एक दूसरे के राज खोलना शुरू कर दिया। सूत्र बताते हैं कि इसी दौरान यह बात सामने आई कि बैंक घोटाले की आरोपित पिंकी यादव के पास जेल में भी मोबाइल मौजूद है। बताया जा रहा है कि सर्चिंग हुई तो जेल के अंदर मोबाइल मिल गया। इसके बाद मोबाइल में डली हुई सिम को निकाल कर उसे तोड़ दिया गया ताकि इस नंबर की कोई जानकारी किसी को न लग सके कि आखिर मोबाइल और नंबर किसका था।
सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि जिस नंबर को तोड़ कर फेंका गया है अगर उसकी कॉल डिटेल निकलवा ली जाए तो यह कॉल डिटेल बेहद चौंकाने वाले खुलासे कर सकती है। इसमें जेल के भी कई जिम्मेदारों के नंबर सामने आ सकते हैं और जेल के बाहर के भी कई सफेदपोश इस कॉल डिटेल के दायरे में आने से अछूते नहीं रहेंगे। इस खबर की पुष्टि के लिए जब जेलर दिलीप सिंह को फोन लगाया गया तो उनका कहना था कि मोबाइल नहीं सिर्फ चार्जर मिला है। इस मामले में जांच की जा रही है।
अकेले चार्जर का क्या उपयोग,मामले के छुपाने का प्रयास
अगर जेल में बंदी के पास मोबाइल का चार्जर मिला है तो वह इस बात की पुष्टि करता है कि जेल में मोबाइल भी है। ऐसे में अब जेल प्रबंधन की जिम्मेदारी बढ़ गई है कि वह किसी भी हालत में उस मोबाइल का पता करे, क्योंकि यह मोबाइल जेल की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा भी उत्पन्ना कर सकता है। मोबाइल के माध्यम से अंदर के वीडियो और फोटो बाहर भी भेजने की आशंका भी है।
जेल की सुरक्षा में सैंध,अंदर चार्जर मिला तो कुछ भी हो सकता हैं।
इस पूरे मामले पर गौर किया जाए तो यह मामला जेल की सुरक्षा व्यवस्था में सेंध की बात को उजागर कर रहा है। यह मामला बताता है कि अगर आरोपित चाहे तो पैसों के बूते जेल के अंदर कुछ भी मंगवा सकता है, फिर चाहे वह नशा हो या जहर अथवा फिर कोई अन्य सामान। नियमानुसार इस मामले की जांच किया जाना चाहिए कि मोबाइल जेल के अंदर कैसे पहुंचा और जो लोग भी इस मोबाइल को अंदर तक पहुंचाने के लिए दोषी हैं, उनके खिलाफ विभागीय जांच के साथ-साथ आपराधिक प्रकरण भी दर्ज किया जाना चाहिए, क्योंकि यह मामला जेल के बंदियों से जुड़ा हुआ है।
इनका कहना है
जेल में मोबाइल मिलने की बात सही नहीं है, बंदी के पास सिर्फ मोबाइल का चार्जर मिला था, मोबाइल नहीं। हम मामले की जांच करवा रहे हैं कि मोबाइल का चार्जर जेल के अंदर कैसे पहुंचा। इसके अलावा यह भी पड़ताल की जा रही है कि मोबाइल है या नहीं।
दिलीप सिंह,जेलर शिवपुरी