शिवपुरी। हमें यदि प्रकृति के संसाधनों को बचाना है तो प्रकृति से प्यार करना पड़ेगा और प्रकृति को प्यार करने वाली भारतीय आस्था को पुनर्जीवित करना होगा। प्राकृतिक विरासतों जल, जंगल और जमीन के रक्षण, संरक्षण, लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से यह यात्रा शुरू की गई है। इससे देश भर के लोगों में अपनी विरासतों के प्रति सम्मान बढ़ा है। यदि हम अपनी विरासतों को नहीं बचा पाए , तो आने वाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं कर पाएंगी । उसके लिए हमें शिक्षा में बड़े बदलाव की जरूरत है। हमें अब प्रकृति के पोषण करने वाली शिक्षा की जरूरत है ।उक्त बात भारत में पर्यावरण एवं जल संरक्षण के क्षेत्र में प्रसिद्ध राजेन्द्र सिंह ने 13 अप्रैल को विरासत स्वराज यात्रा उदयपुर से शिवपुरी पहुंचने पर कही।
इस यात्रा का शिवपुरी पहुंचने पर मनीष राजपूत के नेतृत्व में जितेंद्र रघुवंशी जीतू के साथ जल बिरादरी कार्यकर्ताओं ने जोरदार स्वागत किया। ततपश्चात कार्यकर्ताओं के साथ बैठक आहूत की गई। जिसमें मध्यप्रदेश में काम करने की रूपरेखा बनाई गई। बैठक में यात्रा के साथ पधारे जयेश जोशी , शिवपुरी से अभय प्रताप सिंह चौहान , जनक सिंह रावत , टिंकल झा , जितेंद्र सेन , सन्नी गौर सहित बड़ी संख्या में युवक शामिल हुए।
कई पुरस्कार जीते संस्था ने
2001 में रैमन मेगसे से सामुदायिक नेतृत्व के लिए वाटर हार्वेस्टिंग और जल प्रबंधन में सामुदाय आधारित पुरस्कार जीता। वर्ष 2008 में द गार्जियन ने उन्हें 50 लोगों की सूची में शामिल किया, जो ग्रह को बचा सकते थे । वर्ष 2015 में स्टॉकहोम वॉटर पुरुस्कार जीता । यह पुरुस्कार ” पानी के लिए नोबेल पुरस्कार के रूप में जाना जाता है । वर्ष 2016 में यूके स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ जेनोलॉजी द्वारा अहिंसा पुरुस्कार से सम्मानित किया गया ।