शिवपुरी। अवैध पटाखा फैक्ट्री मे हुए विस्फोट काण्ड में फैक्ट्री मालिक मोहम्मद हुसैन पर एफआईआर दर्ज कर ली हैं। 3 लोगों की मौत और दर्जन भर गंभीर घायल हुए इस विस्फोट काण्ड में प्रशासन की लापरवाही भी सामने आई हैं,पिछले 25 साल से यह परिवार बारूद के ढेर पर बैठा है,फिलहाल प्रशासन मामले की जांच में जुट गया हैं। इस काण्ड में यह सामने निकल आई है कि फैक्ट्री का लाइसेंस इस घनी बस्ती में नहीं बल्कि 3 किमी दूर सुमैला गांव का है।
अवैध पटाखा फैक्ट्री में हुए विस्फोट के साथ धमाके की तेज गूंज के साथ आसपास के कई मकान तो हिल तक गए। इस अवैध पटाखा फैक्ट्री से चंद कदम की दूरी पर स्थित एसबीआइ बैंक के कर्मचारी और ग्राहक को बैंक से बाहर आकर खड़े हो गए। पहले बड़े विस्फोट के बाद दो और बड़े धमाके फैक्ट्री में हुए। इसके अलावा रुक-रुक कर करीब 1 घंटे तक यहां धमाकों की आवाज आती रही। इसके कारण रेस्क्यु भी प्रभावित होता रहा।
यहां बताना होगा कि इस अवैध फैक्ट्री में यह पहला विस्फोट नहीं है, इससे पहले करीब दो दशक के अंतराल में इस पटाखा फैक्ट्री में दो बड़े विस्फोट हो चुके हैं। करीब 25 साल पहले हुए एक हादसे में यहां तीन लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद करीब 15 साल पहले एक और हादसा हुआ जिसमें एक और मौत हो गई। इन हादसों के बाद भी पैसों की भूख के चलते यह पूरा परिवार बारूद के ढेर पर रह रहा था और इस अवैध फैक्ट्री का संचालन रिहायशी बस्ती में कर रहा था।
एक्सपर्ट व्यूः एक ही हॉल में हुए विस्फोट, फिंके खिड़की दरवाजे
इस पूरे मामले में मौके पर पहुंची एफएसएल टीम ने बेहद वैज्ञानिक तरीके से मौके का परीक्षण किया। एफएसएल एक्सपर्ट डॉ एचएस बरहादिया का कहना है कि मौके को देखने से यह प्रतीत होता है कि एक ही हॉल में धमाका हुआ है, जहां पर धमाके बनाए जा रहे थे। हॉल में तीन दरवाजे और खिड़की हैं लेकिन एक भी दरवाजा व खिड़की खुले नहीं थे। इस कारण पटाखे बनाते समय या फिर पटाखों में रखे रखे हीट उत्पन्ना हुई है जिसके कारण धमाका हुआ।
यही कारण है कि तीनों दरवाजे और खिड़की बाहर फिक गए। उनके अनुसार धमाके की भीषणता इतनी अधिक थी कि उक्त हॉल के सामने दस फीट की गली के दूसरे साइट एक अन्य कमरा बना है। उस कमरे के दरवाजे खिड़की तक अंदर की तरफ दब गए। जिस जगह धमका हुआ वहीं पर कच्चा मटेरियल भी रखा हुआ था, उसमें आग लगने के कारण भागना संभव नहीं हो पाया होगा। एफएसएल एक्सपर्ट के अनुसार आग शाम पांच बजे तक लगती रही, यही कारण रहा कि एक बार फिर से फायर बिग्रेड बुलाकर आग बुझानी पड़ी।
बुलाई गई बीडीडीएस टीम
अधिकारियों ने धमाके की भीषणता और लगातार तीन बड़े धमाकों के चलते मौके पर बम्ब डिफ्यूज एंड डिस्पोजल स्क्वायड को भी मौके पर बुलाया। उक्त टीम ने मौके से कई नमूने भी कलेक्ट किए हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि यहां किस तरह के बारूद का उपयोग किया जा रहा था। इस फैक्ट्री में सिर्फ पटाखे की बनाए जा रहे थे या फिर कोई अन्य विस्फोटक सामग्री का निर्माण भी इस अवैध पटाखा फैक्ट्री में किया जा रहा था। फिलहाल पुलिस फैक्ट्री के मालिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की बात कह रही है।
मकान पूरी तरह से हुआ क्षतिग्रस्त
विस्फोट की भीषणता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिस मकान में विस्फोट हुआ है वह मकान पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है। मकान की दीवारों सहित छत में भी दरारें आ गई हैं। न सिर्फ तलघर बल्कि दो अन्य इमारतें भी विस्फोट की चपेट में आ गई हैं। इस मकान के आसपास बने इसी परिवार के अन्य मकान भी विस्फोट की त्रासदी से नहीं बच सके।
तीन किमी दूर का लाइसेंस, अब तक सो रहा था प्रशासन
मोहम्मद हुसैन को पटाखा फैक्ट्री और स्टोर का लाइसेंस प्रशासन ने रिहायशी बस्ती का नहीं दिया था, बल्कि उसका लाइसेंस बदरवास से तीन किमी दूर स्थित गांव सुमैला गांव में खोलने का दिया गया था। इसके बावजूद वर्षों से मोहम्मद हुसैन रिहायशी बस्ती में ही अपने घर पर पटाखा फैक्ट्री का संचालन करने के साथ-साथ यही पर स्टोर भी कर रहा था।
बात अगर नियमों की करें तो लाइसेंस देने वाले जिम्मेदार अधिकारियों को समय-समय पर विजिट कर इस बात की जानकारी लेनी होती है कि कहीं नियमों का उल्लंघन तो नहीं किया जा रहा है, लेकिन एक बार भी जिम्मेदार अधिकारियों ने ऐसा नहीं किया। इसी का परिणाम है कि यह भीषण हादसा घटित हुआ है। हालांकि हादसे के बाद जिम्मेदारों की तंद्रा टूटी और मौके पर पहुंच कर उन्होंने सुमैला स्थित गोदाम को सील किया।
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