अंशुल मित्तल@ग्वालियर।जीवाजी यूनिवर्सिटी प्रबंधन द्वारा पीएचडी प्रवेश परीक्षा से 9 विषय हटा दिए गए, कारण रहा फैकल्टी की कमी। पिछली बार जहां 47 विषयों में पीएचडी की परीक्षा कराई गई थी वही इस बार सिर्फ 38 विषयों में पीएचडी की परीक्षा कराई जाएगी। इस विभाग की लापरवाही ही कहा जा सकता है और इस लापरवाही के चलते एक विषय की अभ्यर्थियों द्वारा विश्वविद्यालय को लीगल नोटिस भेजा गया है।
प्रबंधन की लापरवाही या कुछ और?
पीएचडी में से हटाए गए 9 विषयों में से एक महत्वपूर्ण विषय ज्योतिषविज्ञान के अभ्यर्थियों ने वकील के माध्यम से विश्वविद्यालय को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि यदि ज्योतिष विज्ञान विषय को पीएचडी परीक्षा में शामिल नहीं किया जाता है तो अन्य परीक्षाएं भी रद्द की जानी चाहिए। पीएचडी से नौ विषय हटाने का करण जब विश्वविद्यालय की जिम्मेदारों से पूछा गया तब उनके गोल-गोल जवाबों के साथ जो कारण सामने आया वह कारण था फैकल्टी और गाइड की कमी।
अब जब विश्वविद्यालय को उच्च दर्जा प्राप्त होने के साथ-साथ तकरीबन 100 करोड रुपए का फंड भी मिला है तब यहां यह स्थिति है कि फैकल्टी की कमी के चलते महत्वपूर्ण विषयों की परीक्षाएं रद्द कर दी जाती हैं!
पिछली बार भी हुई गड़बड़ी
सामने आया कि पिछली बार भी ज्योतिष विज्ञान की फैकल्टी यहां उपलब्ध नहीं थी जिसके चलते इस विषय की पीएचडी परीक्षा एमएलबी कॉलेज से संस्कृत के विशेषज्ञ की देखरेख में करा दी गई, जिसे आज वर्तमान में विश्वविद्यालय में बैठे जिम्मेदार खुद ही गलत मान रहे हैं।
इस विषय की पीएचडी कहीं और से कर लेते’
विश्वविद्यालय में ज्योतिष विज्ञान अध्ययनशाला के समन्वयक डॉ राजेंद्र खटीक से जब इस संबंध में जानकारी मांगी गई तब उनका कहना था कि “इस विषय के गाइड और प्रोफेसर की विश्वविद्यालय में कोई पोस्ट ही नहीं है। इस विषय के अभ्यर्थियों को कहीं और से पीएचडी कर लेना चाहिए था।” पिछली बार इसी विषय में हुई परीक्षा के बारे में जब इनसे पूछा गया तब डॉ राजेंद्र का कहना था कि “पिछली बार तक संस्कृत के विशेषज्ञ की देखरेख में ज्योतिष विज्ञान की परीक्षा कराई गई थी, जिसका विरोध आ गया था तो उसे बंद कर दिया गया।”
बता दें कि इस पूरे मुद्दे पर विश्वविद्यालय के वीसी अविनाश तिवारी का जवाब भी लापरवाही भरा ही था, पहले तो वे अन्य जिम्मेदारों पर बात को टालते रहे आखिर में उन्होंने भी माना कि ज्योतिष विज्ञान जैसे विषय पर आज तक कोई विशेषज्ञ या गाइड की पोस्ट नहीं रही।
फैकल्टी की कमी के चलते महत्वपूर्ण विषयों को पीएचडी से बाहर करना जीवाजी विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा पर सवालिया निशान लगाता है। निष्पक्षता से पड़ताल करने पर इस संबंध में कई भारी अनियमितताएं सामने आने की उम्मीद है।