@अंशुल मित्तल ग्वालियर। शहर में बीते दिनों संगम वाटिका और रंगमहल गार्डन में भीषण अग्निकांड हुआ। इसके बाद केवल कागजों में काम करने वाला, निगमायुक्त हर्ष सिंह का अमला, फायर सेफ्टी नियमावली को लेकर निजी मैरिज गार्डनों और अस्पतालों आदि पर टूट पड़ा। लेकिन फायर सेफ्टी व्यवस्थाओं को लेकर नगर निगम के जिम्मेदारों द्वारा, पूर्व मे ही एक बड़े भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा चुका था, जिस पर शायद निगमायुक्त ने जानबूझकर आंखें बंद कर ली। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत बनाई गई सरकारी मल्टियों मे यह भ्रष्टाचार खुले तौर पर सामने आया है। जिस पर निगम आयुक्त कुछ भी जवाब देने से बच रहे हैं।
बिछा दी डेमेज जगह जगह से फूटी पाइपलाइन
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनी महलगांव स्थित सरकारी मल्टियों में मैन्युअल फायर सेफ्टी सिस्टम लगाया जाना था जिसमें बड़ा भ्रष्टाचार करते हुए जिम्मेदारों द्वारा टूटे-फूटे पुराने पाइप दिखावे के लिए लगा दिए गए। यह पाइप किसी भी वॉटर टैंक से कनेक्ट नहीं है और इस स्थिति में भी नहीं है कि इनमें से पानी गुजारा जा सके। जाहिर सी बात है कि जिम्मेदारों द्वारा यहां बड़े भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया और और यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि निगमायुक्त इस पर आंखें बंद किए हुए बैठे हैं।
निगम मुख्यालय मे अग्निकांड के बाद भी, फायर सेफ्टी का सिर्फ दिखावा
ग्वालियर नगर निगम का मुख्यालय जहां शहरभर का संपत्ति कर जलकर और राजस्व आदि का रिकॉर्ड जमा रहता है। निगम आयुक्त द्वारा इस बिल्डिंग तक में फायर सेफ्टी यंत्र लगवाने की जरूरत नहीं समझी गई। शहर में अग्निकांड होने के बाद इस तीन मंजिल की बिल्डिंग में तीन फायर सेफ्टी सिलेंडरों पर रिफिल किए जाने के पर्चे चिपकाए गए हैं, लेकिन जब इनकी सच्चाई जांची गई, तब एक उंगली से इस सिलेंडर को उठाया जा सकता है, जिससे प्रतीत होता है कि इन पर सिर्फ रिफिलिंग किए जाने के पर्चे ही चिपकाए गए हैं। तकरीबन 1 वर्ष पहले तत्कालीन आयुक्त किशोर कार्यालय के कार्यकाल में मुख्यालय के तीसरी फ्लोर पर आगजनी की घटना हो चुकी है। ऐसे में शहरभर का शासकीय रिकॉर्ड भगवान भरोसे है।
जनकल्याण में व्यस्त निगमायुक्त
जनकल्याण में व्यस्त, निगमायुक्त हर्ष सिंह से इस संबंध में जानकारी चाहने हेतु हमारे संवाददाता द्वारा जब फोन पर संपर्क किया गया, तब दो बार फोन किए जाने पर भी कमिश्नर द्वारा फोन रिसीव नहीं किया गया। इसके बाद व्हाट्सएप पर वस्तुस्थिति बताने जाने का मैसेज किए जाने पर भी, कमिश्नर द्वारा कोई जवाब देना जरूरी नहीं समझ गया।
उच्चस्तरीय जांच की दरकार
यहां स्पष्ट कर दें कि प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत बनाई गई मल्टियों में फायर सेफ्टी के दिखावे के तौर पर बिछाई गई पाइपलाइन बेहद ही घटिया क्वालिटी की है जो कि जगह-जगह से टूटी हुई दिखाई दे रही है, जबकि सरकारी कार्यों में आईएसआई मार्क का आयरन इस्तेमाल किए जाने का प्रावधान रहता है। महलगांव स्थिति मल्टी के रास्ते पर भी अतिक्रमण की स्थिति से इनकार नहीं किया जा सकता, जिससे आपातकाल की स्थिति में यहां फायर ब्रिगेड की गाड़ियों को पहुंचने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है! इससे स्पष्ट होता है कि सरकारी माफिया प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजनाओं को भी अपनी अवैध आमदनी का जरिया बनाने से नहीं चूकते फिर चाहे आमजन की सुरक्षा ही दांव पर क्यों न लग जाए। ऐसे भ्रष्टाचारों पर जिम्मेदारों की मौन स्वीकृति दुर्भाग्यपूर्ण है।