बैराड़। भारतीय किसान संघ तहसील बैराड़ ने गुरूवार को बलराम जयंती मनाई एवं किसानों की समस्याओं को लेकर ज्ञापन सौंपा है। बता दे कि भारतीय किसान संघ देशभर में विभिन्न दिनांकों में भगवान बलराम की जयंती मनाई जा रही है। इसी क्रम में बैराड़ में भी कार्यक्रम आयोजित कर तहसील क्षेत्र के किसानों की खरीफ की फसल के अतिवृष्टि से बर्बाद होन पर नुकसान की भरपाई व बीमा राशि एवं खाद की समस्या सहित मवेशियों के द्धारा फसल नुकसान पर मवेशियों को गौशाला में व्यवस्थित करने व सोयाबीन का मूल्य 6 हजार रूपए प्रति क्विंटल करने सहित कई अन्य बिंदुओं के साथ पीएम और सीएम सहित कलेक्टर के नाम ज्ञापन तहसीलदार बैराड़ दृगपाल सिंह को सौंपा है।
जानकारी के अनुसार गुरूवार को नगर के कृषि उपज मंडी के सभागार में दोपहर 12 बजे पूजा अर्चना करके भगवान बलराम जयंती मनाई गई। कार्यक्रम में मुख्य रूप से भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष बृजेश सिंह धाकड़ उपस्थित रहे जिन्होने अपने उद्धबोधन में कहा कि भारतीय किसान संघ किसानों द्वारा किसानों के लिए चलाया जाने वाला गैर राजनीतिक देशव्यापी संगठन है, संगठन का ध्येय है कि हर किसान हमारा नेता है, किसानों को स्वयं की समस्याओं से शिक्षित होने की जरूरत है और संगठन के तीन प्रमुख कार्यों संगठनात्मक, रचनात्मक और आंदोलनात्मक कार्यो के बारे में विस्तृत रूप से बताया। कृषि उपज मंडी में कार्यक्रम करने के बाद किसान संघ के कार्यकर्ता बाइक रैली से तहसील मुख्यालय पहुंचे जहां ज्ञापन सौपा।
इस दौरान कलेक्टर को दिए ज्ञापन में बिजली विभाग बैराड़ प्रथम श्रेणी ऑफिस द्वारा किसानो से अवैध बसूली की जा रही है। जहां किसानों की ट्यूबबेल मोटर 5 एचपी की है उनको 10एचपी की कर दिया गया है। 10 एचपी की मोटर षड्यंत्र के तहत पैसे का लेन देन करके की गई है।10एचपी का पंप 12 एचपी कर दिया है। और ऐसे ही पैसे ऐंठने के लिए लोड बड़ा दिया गया है और किसानों से पैसे वसूले जाते हैं। ऐसी अन्य स्थानीय मांगों के साथ कलेक्टर से निराकरण करने की मांग की है। इस दौरान कार्यक्रम में भारतीय किसान संघ के तहसील अध्यक्ष गणेश धाकड़ बूढ़दा, जिला उपाध्यक्ष योगेश वर्मा, राजकुमार रावत, दामोदर टोडा, शिशपाल यादव, राजेंद्र जौराई, महेश रसैरा, लेखराज जाटव आदि सहित सैंकड़ों की संख्या में किसान संघ के कार्यकर्ता मौजूद रहै।
पीएम के नाम सौंपे ज्ञापन में मांग कि है कि हमारा प्रदेश सोयाबीन उत्पादक राज्य है, लागत के अनुपात में सोयाबीन का समर्थन मूल्य बहुत कम है इसे कम से कम 6 हजार प्रति क्विंटल किया जाये। घोषित समर्थन मूल्य पर खरीदी सुनिश्चित की जाए। कृषि उपज का लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य दिया जाए। देश की आत्मा कृषि का बजट अलग से बनाया जाए। केन्द्र सरकार बलराम जयंती को किसान दिवस घोषित करे। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसान हितैषी बने, इस हेतु नीति परिवर्तन के लिए केन्द्रीय स्तर की उच्च कमेटी, माननीय कृषि मंत्री की अध्यक्षता में गठित हो, जिसमें भारतीय किसान संघ की भागीदारी रहे कमेटी अपनी रिपोर्ट आगामी खरीफ फसल के समय लागू करवायें। देश में कृषि फसल उत्पादन एवं आवश्यकता के आंकड़ों के आधार पर किसान हित में आयात निर्यात नीति तय की जाए। सभी फसलों की खरीदी व्यवस्था सुनिश्चित की जाए एवं लागत को जोड़ने की पद्धति में पारदर्शिता हो। शासन की मनरेगा योजना को कृषि से जोड़ा जाए। सभी जिलों में सर्वसुविधा युक्त कृषि महाविद्यालय होना चाहिए, तथा छोटी कक्षाओं से कृषि विज्ञान विषय होना चाहिए। प्रत्येक विकासखण्ड, तहसील, मण्डी स्तर पर एक ऐसी लैब हो जिसमें किसान खाद दवाई की जांच करवा सकें, यदि खाद दवाई वगैरा में पूर्ण तत्व नही होगें, तो मिट्टी परीक्षण (स्वाईल हैल्थ कार्ड) दिखावा साबित होगा। जल नीति सन् 2012 की जल नीति को हटाकर पानी का उपयोग पीने के लिए प्रथम तथा कृषि कार्य के लिए द्वितीय माना जाए। सभी खेतों को पानी मिले ऐसी व्यवस्था की जाए। पहाड़ों पर बांध बनाकर छोटे बड़े तालाब बनाए जाऐं जिससे जमीन के अंदर अधिक पानी संग्रहित होगा। भारतीय गौवंश आधारित कृषि को प्रोत्साहित किया जाए जैविक खेती को बढ़ाने के लिए देशी गौवंश का प्रोत्साहन नितांत आवश्यक है। जंगली जानवर एवं आवारा पशुओं से फसलों में होने वाले नुकसान की क्षतिपूर्ति दी जाए, किसानों को फैंसिंग के लिए 80 प्रतिशत अनुदान दिया जाए। देश के किसानों को सब्जी परिवहन हेतु यात्री ट्रेनों में दो लोडिंग बोगी लगाई जाए।सभी फसल हेतु फूड प्रोसेसिंग प्लांट लघु उद्योग ग्राम स्तर पर अधिक अनुदान देकर लगवाए जाएँ तथा किसानों को प्रशिक्षण दिये जाएँ। लघु उद्योग में बिजली का एवरेज बिल बंद कर खपत के आधार पर दिया जाए। राष्ट्रीयकृत बैंकों द्वारा किसानों को क्रेडिट कार्ड पर रूपए 5 लाख तक बिना ब्याज के ऋण उपलब्ध करवाया जाए उससे ऊपर की लिमिट सीमा हटाई जाए। ग्रामों में निवासरत किसानों को उद्योग व्यवसाय तथा गृह निर्माण हेतु ऋण सुविधा उपलब्ध कराई जाए। नाबार्ड द्वारा संचालित बैंकों की व्यवस्था को आधुनिकीकरण किया जाए। बैंकों से जुड़ी ग्रामीण स्तर की सहकारी संस्थाओं को बैंक प्रणाली (कियोस्क) से जोड़कर छोटी बैंक बनाई जाए। राष्ट्रीयकृत बैंकों की शाखा बढ़ाई जाए तथा सभी बैंकों में हिन्दी में कार्य हो।
सीएम के नाम दिए ज्ञापन में किसान मंच की बैठक अतिशीघ्र प्रारंभ कराई जाये, वर्ष में कम से कम चार बैठक अनिवार्य हों। सोयाबीन का समर्थन मूल्य लागत की तुलना में बहुत कम है। प्रदेश सरकार सोयाबीन पर प्रति क्विंवटल 1200 रूपए का अनुदान देवे एवं घोषित समर्थन मूल्य पर खरीदी सुनिश्चित की जाए। आयात निर्यात नीति को खेती के अनुरूप बनाया जाए, फसल आने के पूर्व आयात पर प्रतिबंध लगे। बीजों एवं उर्वरकों के मानक प्रमाणिकता सत्यापन के उपरांत ही बाजार में बेचने के लिए उपलब्ध कराया जाए, बेचने की अनुमति दी जाए। मुख्यमंत्री खेत सड़क योजना एवं बलराम तालाब योजना अविलम्ब प्रारंभ की जाए। किसानों के खेत में लगे सागौन की कटाई परिवहन एवं चिराने की परमिशन को सरल किया जाए एवं आम, बबूल, नीम के कटाई परिवहन एवं चिराई के प्रतिबंध से मुक्त किया जाए। कृषि विभाग एवं कृषि अनुसंधान केन्द्र की भूमि अन्य किसी प्रयोजन के लिए नही दी जाए। सभी फसलों की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जाए। चना एवं अन्य सभी बीज अनुदान वर्ष 2020 से किसानों को नही मिले हैं, तत्काल दिलाए जाएँ। भारतीय गौवंश को बढ़ावा देने हेतु पालक किसान को प्रति गाय (अनुदान) प्रोत्साहन राशि दी जाए, देशी गाय का दूध गुणवत्ता के आधार पर 100 रूपए प्रति लीटर खरीदा जाए। जंगली जानवर एवं आवारा पशुओं से फसलों में होने वाले नुकसान की क्षतिपूर्ति दी जाए, किसानों को फँसिग के लिए 80 प्रतिशत अनुदान दिया जाए। प्रदेश की सभी कृषि उपज मण्डी में मानक परीक्षण (डोकेज टेस्टिंग) मशीन लगाई जाए। मंडियों में सभी कृषि उपज का तौल (10 टन) बड़े तौल कांटे से ही किया जाए, सभी मण्डियों में सी.सी.टी.वी. कैमरे चालू किए जाएँ। घोषित समर्थन मूल्य से नीचे बोली नही लगे इसकी सुनिश्चितता की जाए। प्रदेश में बंद पड़ी मण्डियों को तुरंत चालू किया जाए। मुख्यमंत्री कृषक मित्र योजना में पर्याप्त फंड उपलब्ध कराया जाए। क्षमता से अधिक भार वाले ट्रांसफार्मरों पर आवश्यकता अनुसार क्षमता वृद्धि की जाए, अतिरिक्त ट्रांसफार्मर लगाए जाऐं। किसानों से स्थाई कृषि पम्प कनेक्शन लेने हेतु अधिकतम राशि 500 रूपए ली जाए। कृषि पम्प पर लगने वाले कैपेसिटर सरचार्ज की राशि कम्पनी को न दी जाकर किसानों के खातों में डाली जाए जिससे किसान स्वयं कैपेसिटर लगवा सके। जले हुए ट्रांसफार्मर 24 घंटों में बदले जाएँ. वितरण केन्द्रों पर ट्रांसफार्मर बैंक बनाए जाए। ग्राम के बाहर बने टोले मजोरे (पांच घर) की आबादी है वहां पर भी 24 घंटे की लाईट दी जाए। प्रदेश में अनेक किसानों की कृषि पम्प की बिना जांच किए भार वृद्धि कर दी गई है. (3) से 5 या 5 से 7.5) तत्काल वापस किया जाए। किसानों को सीजन में 6 घंटे दिन में एवं 6 घंटे रात में बिजली दी जाए। किसानों को मांग के अनुरूप डी.एल.एफ. फीडर पर स्वयं के व्यय पर सिस्टम विस्तार के साथ मीटरयुक्त स्थाई कनेक्शन दिए जाऐं। राजस्व के प्रकरण का निपटारा शीघ्र किया जाए, रजिस्ट्री एवं नामांतरण साथ साथ किया जाये। राजस्थान की तर्ज पर 1000 रूपए के स्टाम्प पर हक त्याग मान्य किया जाये। राजस्व के अधिकारियों को राजस्व कार्य के लिए ही अधिकृत किया जाए। अन्य सभी कार्य के लिए एवं अन्य प्रोटोकॉल के लिए अलग से नियुक्ति की जाये। रजिस्ट्री के तुरंत बाद उक्त रकबे का पोर्टल लॉक हो, ताकि रजिस्ट्री दुबारा न हो सके। प्रत्येक किसान को खेत में जाने का रास्ता (कृषि यंत्रों सहित) नक्शे में अंकित किया जाये। दमोह जिले में चार सिंचाई योजनाएँ पंचम नगर साजली सतधरू एवं सीता नगर स्वीकृत हुई थी, जिनका कार्य चार वर्ष पूर्व होना था, कागजों पर इनका कार्य पूर्ण होना बताया गया परंतु वास्तविक रूप से इन योजनाओं से किसानों को आज तक एक बूंद पानी प्राप्त नही हो रहा है, तथा इन योजनाओं से किसानों को सिंचाई का लाभ आगामी रबी फसल में पहुंचाया जाए, पूर्व में डी.पी.आर. जब बनी उस समय कई गावों को वंचित कर दिया गया। राष्ट्रीयकृत बैंकों द्वारा किसानों को क्रेडिट कार्ड की लिमिट सीमा हटाई जाए। ग्रामों में निवासरत किसानों को उद्योग व्यवसाय तथा गृह निर्माण हेतु ऋण सुविधा उपलब्ध कराई जाए। ऋणी किसानों की जमीनों को बैंको द्वारा बंधक बनाया जाता है, ऋण चुकता होने के बाद भी बैंकों द्वारा कई महीनों / वर्षों तक बंधन मुक्त नहीं करवाया जाता, तहसीलदार, एस.डी.एम. बहुत अधिक परेशान करते हैं रिश्वत खाने का एक जरिया बन गया बैंकों द्वारा ऋण चुकता के बाद 3 दिन में ऐसे किसानों की जमीन बंधन मुक्त करने की जिम्मेदार सौंपी जाए।