शास्त्रों के आधार पर चार नवरात्र बताए गए हैं। दो नवरात्र बड़े स्तर पर मनाए जाते हैं और दो गुप्त रूप से साधु-संतों के लिए होते हैं। गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा की दस महाविघाओं की साधना की जाती है। मान्यताओं के अनुसार, गुप्त नवरात्र में की जाने वाली पूजा से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस बार कुंभ संक्रांति के साथ ही गुप्त नवरात्र की शुरुआत हो जाएगी। माघ महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से ही गुप्त नवरात्रि की शुरुआत हो जाएगा। इस बार यह शुभ तिथि 12 फरवरी यानी आज है। गुप्त नवरात्र का यह उत्सव साधना और व्रत के लिए होता है। आइए जानते हैं गुप्त नवरात्र का महत्व क्या है और इसे क्यों गुप्त कहा जाता है…
गुप्त नवरात्रि 2021 तिथि –
गुप्त नवरात्रि शुरू 12 फरवरी 2021 दिन शुक्रवार
गुप्त नवरात्रि समाप्त 21 फरवरी 2021 दिन रविवार
प्रत्यक्ष और गुप्त नवरात्र में अंतर
चार नवरात्र में से दो को प्रत्यक्ष नवरात्र कहा गया है क्योंकि इनमें गृहस्थ जीवन वाले साधना पूजन करते हैं। लेकिन जो दो गुप्त नवरात्र होते हैं, उनमें आमतौर पर साधक सन्यासी, सिद्धि प्राप्त करने वाले, तांत्रिक-मांत्रिक देवी की उपासना करते हैं। हालांकि चारों नवरात्र देवी सिद्धि प्रदान करने वाली होती हैं। लेकिन गुप्त नवरात्र के दिनों में देवी की दस महाविधाएं की पूजा की जाती है, जिनका तंत्र शक्तियों और सिद्धियों में विशेष महत्व है। जबकि प्रत्यक्ष नवरात्र में सांसारिक जीवन से जुड़ी हुई चीजों को प्रदान करने वाली देवी के 9 रूपों की पूजा की जाती है। गुप्त नवरात्र में अगर आमजन चाहें तो किसी विशेष इच्छा की पूर्ति या सिद्धि के लिए गुप्त नवरात्र में साधना करके मनोरथ की पूर्ण कर सकते हैं।
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इसलिए कहते हैं गुप्त नवरात्र
गुप्त नवरात्र में तंत्र साधना का विशेष महत्व रहा है। चूंकि तंत्र साधना गुप्त रूप से किया जाता है इसलिए यह गुप्त नवरात्र के नाम से जाना जाता है। यह आमतौर पर तंत्र विघा में रुचि रखने वाले साधक और तांत्रिक करते हैं। गुप्त नवरात्र में साधना के साथ सिद्धियों की भी प्राप्ति की जाती है। प्राचीनकाल में गुप्त नवरात्र ही ज्यादा प्रचलित थीं। बाद में युगों के परिवर्तन के बाद चैत्र नवरात्र मूल रूप में आया और फिर शारदीय नवरात्र। गुप्त नवरात्र आषाढ़ और माघ मास में की जाती है।
मां दुर्गा की दस महाविघाएं
गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा की दस महाविघाएं की पूजा व साधना की जाती है। इनमें मां कालिके, मां तारा देवी, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी देवी, माता चित्रमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, माता बग्लामुखी, मां कलमा देवी, मां धूम्रवती और मां मांतगी हैं।
गुप्त नवरात्र पर शुभ संयोग
चारों नवरात्रि के दौरान ऋतु परिवर्तन भी होता है और साधना व पूजा-पाठ के लिए ग्रह-नक्षत्रों की विशेष स्थिति बनती है। जिससे इनकी पूजा करने का फल भी कई गुना मिलता है। इस बार गुप्त नवरात्रि की शुरुआत सूर्य के राशि परिवर्तन और गुरु और शुक्र तारा के उदय के साथ हो रही है। इसी नवरात्र की पंचमी तिथि को देवी सरस्वती का प्राकट्योत्सव बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाएगा। माघ मास की नवरात्रि 12 फरवरी यानी आज से शुरू हो गई है और 21 फरवरी को पूर्ण होंगी। इस तरह यह पर्व 10 दिन का मनाया जाएगा क्योंकि हर दिन मां दुर्गा की महाविघाएं की पूजा की जाएगी।
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गुप्त नवरात्र का महत्व
चारों नवरात्र हर साल तीन-तीन महीने की दूरी पर आती हैं। प्रत्यक्ष तौर पर चैत्र, गुप्त आषाढ़, प्रत्यक्ष आश्विन और गुप्त पौष माघ में मां दुर्गा की उपासना करके इच्छित फल की प्राप्ति की जाती है। प्रत्यक्ष नवरात्र में मां के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है और गुप्त नवरात्र में 10 महाविघा की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रों का महत्व, प्रभाव और पूजा विधि बातने वाले ऋषियों में श्रृंगी ऋषि का नाम सबसे पहले लिया जाता है। धार्मिक कथाओं के अनुसार, एकबार एक महिला श्रृंगी ऋषि के पास आई और अपने कष्टों के बारे में बताया। महिला ने हाथ जोड़कर ऋषि से कहा कि मेरे पति दुर्व्यसनों से घिरे हुए हैं और इस कारण कोई धार्मिक कार्य, व्रत या अनुष्ठान नहीं कर पा रही। ऐसे में क्या करूं कि मां शक्ति की कृपा मुझे प्राप्त हो और मुझे मेरे कष्टों से मुक्ति मिले। तब ऋषि ने महिला के कष्टों से मुक्ति पाने के लिए गुप्त नवरात्र में साधना करने के लिए कहा था। ऋषिवर ने गुप्त नवरात्र में साधना की विधि बताते हुए कहा कि इससे तुम्हारा सन्मार्ग की तरफ बढ़ेगा और तुम्हारा पारिवारिक जीवन खुशियों से भर जाएगा।