शिवपुरी। जिले में खनिज संपदा के दोहन को लेकर सरकार द्वारा परमिशन तो दी जा रही है, लेकिन इस प्रक्रिया में नियमों की खुलेआम अनदेखी हो रही है। हालात यह हैं कि ना तो पर्याप्त चेकपोस्ट हैं और ना ही जांच के लिए पर्याप्त स्टाफ। जो कुछ कर्मचारी मौजूद हैं, उन्हें अवैध परिवहन, उत्खनन और भंडारण की कार्यवाही के नाम पर इधर-उधर दौड़ाया जा रहा है।
अवैध फड़ों की भरमार, कार्रवाई नदारद
शहर में कई अवैध फड़ (स्टोन डंप/स्टोरेज प्वाइंट्स) संचालित हो रहे हैं, लेकिन खनिज विभाग की कार्यवाही केवल दिखावे तक सीमित है। यदि कार्रवाई होती भी है, तो उसका कोई ठोस परिणाम नहीं निकलता। विभाग की टीम निरीक्षण करती है, परंतु सिर्फ खानापूर्ति कर लौट जाती है।
खनन की अनुमति में भी नियमों का उल्लंघन
जिन स्थानों पर खनन की विधिवत अनुमति दी गई है, वहां भी कई नियमों का पालन नहीं हो रहा है। नियमानुसार खनन पट्टों के लिए बफर जोन, सुरक्षा सीमा, और पौधारोपण जैसे प्रावधान अनिवार्य हैं, लेकिन वास्तविकता में इनका कोई पालन नहीं किया जा रहा।
चेकपोस्ट और तुला चौकियों का अभाव
खनिजों के अवैध परिवहन पर नियंत्रण के लिए जिला प्रशासन और खनिज विभाग को मुख्य मार्गों पर तुला चौकियों और चेक पोस्ट स्थापित करने चाहिए थे, लेकिन वर्तमान में ऐसा कोई भी इंतजाम नहीं दिखता। सिर्फ एक छोटी सी टीम गठित की गई है जो विभिन्न क्षेत्रों में जांच के नाम पर घूमती है। लेकिन जांच कितनी प्रभावी है, यह सभी को मालूम है।
नरवर-सतनवाड़ा में बगैर परमिट के खनिज परिवहन
नरवर और सतनवाड़ा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर खनिजों का अवैध परिवहन किया जा रहा है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार कई वाहन बिना परमिट के खुलेआम परिवहन कर रहे हैं और अधिकारी आंखें मूंदे हुए हैं।
किसका संरक्षण है इन अवैध फड़ों को?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि इन अवैध फड़ों को संरक्षण कौन दे रहा है और क्यों इन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही? ऐसा माना जा रहा है कि इन फड़ों के संचालन में लेनदेन और “हिसाब-किताब” का खेल चल रहा है।