शिवपुरी।हाल ही में एक महत्वपूर्ण कानूनी मामले में, युवा अधिवक्ता प्रदीप यादव ने अपनी शानदार पैरवी से एक अभियुक्त को ‘हिट एंड रन’ के आरोप से दोषमुक्त कराया। इस मामले में, युवा अधिवक्ता को वरिष्ठ अधिवक्ता मुनेश मिश्रा का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। यह मामला जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है, जिसमें अभियोजन पक्ष के आरोपों को सफलतापूर्वक खंडित कर दिया गया।
अभियोजन पक्ष का मामला
यह घटना 29 मार्च 2022 की है। अभियोजन पक्ष के अनुसार, फरियादिया (शिकायतकर्ता), जिसकी उम्र 35 साल है और जो माधौ नगर वायपास की निवासी है, ने अपने बेटे सोनू राठौर के साथ थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट में उन्होंने बताया कि शाम करीब 6:30 बजे वह और उनका बेटा पैदल ही बायपास रोड से अपने घर जा रहे थे। जब वे 27 नंबर कोठी के सामने पहुंचे, तो फतेहपुर की ओर से आ रही एक मोटरसाइकिल (क्रमांक MP33 MR 7446) के चालक ने अपनी गाड़ी को “तेजी व लापरवाही से” चलाते हुए उन दोनों को टक्कर मार दी।
टक्कर के बाद, फरियादिया की ठोड़ी से खून निकलने लगा। उन्हें दोनों घुटनों, दाहिने कान, दांतों, बाएं हाथ की कोहनी और कमर में भी गंभीर चोटें आईं। उनके बेटे सोनू के सिर में भी चोट आई और खून निकला। सोनू के दाहिने हाथ के कंधे और शरीर के अन्य हिस्सों में भी चोटें आईं।
शिकायतकर्ता के अनुसार, टक्कर मारने के बाद मोटरसाइकिल चालक अपनी गाड़ी लेकर मौके से फरार हो गया। इस घटना को शेरू राठौर और रामश्री राठौर नामक दो लोगों ने देखा था। इसके बाद, आसपास के लोगों की मदद से दोनों घायलों को सुखदेव हॉस्पिटल पहुंचाया गया, जहाँ उनका प्राथमिक उपचार किया गया। फरियादिया ने उसी के बाद पुलिस थाने आकर अपनी शिकायत दर्ज कराई, जिसके आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज किया।
न्यायालय में कार्यवाही और पैरवी
विवेचना के बाद, पुलिस ने अभियोग पत्र माननीय न्यायालय में प्रस्तुत किया। न्यायालय में सुनवाई के दौरान, अभियुक्त की ओर से पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता मुनेश मिश्रा के मार्गदर्शन में युवा अधिवक्ता प्रदीप यादव ने की। उन्होंने अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत की गई साक्ष्य को गहनता से परखा और अपने तर्कों के माध्यम से कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को उठाया।
प्रदीप यादव ने अभियुक्त को निर्दोष साबित करने के लिए ठोस तर्क और कई प्रासंगिक न्याय दृष्टांत (judicial precedents) प्रस्तुत किए। उनकी प्रभावी पैरवी और कानूनी समझ के कारण, न्यायालय ने अभियुक्त मेहरबान बघेल को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 279, 337और 338 के तहत लगाए गए सभी आरोपों से दोषमुक्त कर दिया।