शिवुपरी। कोतवाली थानांतर्गत माधव चौक चौराहे पर गुरुवार की सुबह एक मजदूर पर पैट्रोल छिड़क कर स्वयं में आग लगा ली। मजदूर फिलहाल जिला अस्पताल में भर्ती है, उसके दोनों हाथ पूरी तरह से जल गए हैं। मजदूर का आरोप है कि उसे न तो पुलिस सहायता केंद्र पर कोई सहायता मिली और न ही कोतवाली में। वह जब कोतवाली पहुंचा तो उसे वहां से दुत्कार कर भगा दिया गया। मजदूर का कहना है कि उसमें आग लगाई हैं।
इंद्रा कॉलोनी निवासी मजदूर देवेंद्र पुत्र चंपा लाल विश्वकर्मा के अनुसार तीन दिन पहले उसका कोतवाली के पीछे रहने वाले पाल समाज के एक मजदूर ठेकेदार से झगड़ा हो गया था। झगड़े के बाद उसने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर उसे पीटा और फिर बुधवार की सुबह माधव चौक चौराहे पर आकर उससे फिर झगड़ा किया और आज फिर आया व उस पर पैट्रोल छिड़क कर उसे आग लगा दी।
देवेंद्र का कहना है कि घटना की पुष्टि के लिए माधव चौक चौराहे पर लगे कैमरों को भी चैक किया जा सकता है। बकौल देवेंद्र वह इसके बाद पुलिस सहायता केंद्र पहुंचा, जहां उसे न तो कोई पुलिस वाला मिला और न ही किसी प्रकार की सहायता मिल पाई। इसके बाद कुछ लोगों की सलाह पर वह पैदल-पैदल मामले की शिकायत दर्ज कराने कोतवाली पहुंचा।
जहां से भी उसे एक पुलिस वाले ने दुत्कार कर भगा दिया। इसके बाद वह अस्पताल में आकर भर्ती हुआ है, लेकिन दोपहर तक न तो पुलिस ने उसके बयान लिए हैं और न ही कोई अन्य कार्रवाई की गई। पीड़ित देवेंद्र के अनुसार आरोपित ने उससे की पेट्रोल मंगवाया था और उसी से जलाने का प्रयास किया।
आमजन का कलेजा पसीजा न पुलिस का
इस पूरे मामले में खास बात यह रही कि युवक जली हुई अवस्था में माधव चौक चौराहे से करीब एक किमी दूर कोतवाली तक जली हुई हालत में पहुंचा। इस दौरान न तो किसी आम आदमी ने उसे अस्पताल तक पहुंचाने की जहमत जुटाई और न ही थाने पहुंचने पर किसी पुलिस वाले ने यह सोचा कि उसे उपचार के लिए अस्पताल तक पहुंचाया जाए ।
जबकि पुलिस का तो कर्तव्य ही है कि सबसे पहले पीड़ित व्यक्ति को उपचार प्रदान करवाया जाए फिर चाहे वह फरियादी हो या आरोपी। वह खुद ही उठता गिरता अस्पताल पहुंचा और दोपहर बाद अस्पताल चौकी पर तैनात पुलिसकर्मी ने अस्पताल की तहरीर के बाद उसके बयान दर्ज किए हैं
इनका कहना है
उक्त मजदूर के आरोप पूरी तरह से निराधार हैं, उसने खुद ही अपने आप को आग लगाई है, उसे किसी ने आग नहीं लगाई है। उसे किसी भी पुलिसकर्मी ने थाने से नहीं भगाया है। यह बात पूर्णतः गलत है कि उसे थाने से भगाया गया है।
सुनील खेमरिया, टीआइ कोतवाली