शिवपुरी। शिवपुरी में टाइगर की आमद होने से पहले ही अटक गई है टाइगर प्रोजेक्ट इसको लेकर श्रेय की राजनीति की जा रही थी। उसके ऊपर भी कहीं हद तक विराम लग गया है। टाइगर विहीन हो चुके माधव नेशनल पार्क में टाइगर आने की आहट है,इसकी तैयारियां भी शुरू हो चुकी है,लेकिन जब तक नियमों की एनओसी और टाइगर सफारी का लेआउट का प्रिंसिपल अप्रूवल नही मिल जाता जब कागजों में ही टाइगर दहाडेगा। बताया जा रहा है कि शिवपुरी के टाइगर प्रोजेक्ट के लिए 100 करोड़ हाथ में होना आवश्यक है। इस प्रोजेक्ट पर नेताओं ने दहाडना शुरू कर दिया है। प्रोजेक्ट का श्रेय लेने के होड मची हैं,लेकिन इस प्रोजेक्ट के बजट के लिए किसी ने अभी कोई ठोस बयान मीडिया में नही दिया हैं।
प्रोजेक्ट के सबसे बड़ी चुनौती:सफारी का लेआउट अप्रूवल के लिए अटका
टाइगर सफारी का लेआउट ही प्रिंसिपल अप्रूवल के लिए सेंट्रल जू अथॉरिटी में अटका हुआ है। अथॉरिटी में अभी देशभर के करीब तीन दर्जन प्रोजेक्ट अप्रूवल के इंतजार में हैं। यहां से स्वीकृति मिलने के बाद डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) बनाने का काम शुरू किया जाएगा। डीपीआर बनने के बाद बजट स्वीकृत होगी और फिर सफारी के लिए निर्माण है। यदि आज से भी टाइगर सफारी के लिए काम शुरू कर दिया जाए तो भी इस साल टाइगर को लाना संभव नहीं होगा। ऐसे में यह तो स्पष्ट है कि इस साल भी माधव राष्ट्रीय उद्यान में बाघ ही दहाड़ सुनाई नहीं देगी। कुछ समय और टाइगर अभी कागजों में ही दहाड़ता हुआ नजर आएगा।
1 हजार बीघा जमीन खाली,हुई वन्य जीवो की गणना
हालांकि पार्क प्रबंधन की ओर से अपने स्तर पर पूरी तैयारियां की जा रही हैं। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट से वन्य जीवों की गणना करा ली गई है, एक हजार बीघा से अधिक जमीन भी खाली करा ली गई है। इस पर चारागाह बनाने का काम शुरू हुआ है। यह सभी प्रयास अभी टाइगर लाने के लिए नाकाफी हैं। ऐसे में अब पार्क प्रबंधन फ्री रेंज टाइगर की योजना को पहले आगे बढ़ा रहा है। अभी करीब 90 लाख रुपये बजट पार्क प्रबंधन को मिला है जिससे मध्य व पूर्व रेंज के बीच में इन्क्लोजर बनाया जाएगा। इसमें एप्रोच रोड भी बनाए जाने की योजना है। पार्क प्रबंधन 8 हेक्टेयर का एक या फिर चार-चार हेक्टेयर के दो इन्क्लोजर बना सकता है। इस पर अभी काम चल रहा है।
दो तरह से टाइगर लाने के प्रयास
माधव राष्ट्रीय उद्यान में दो तरह से टाइगर लाने की योजना है। एक टाइगर सफारी है तो दूसरा फ्री रेंज टाइगर। टाइगर सफारी बड़ा प्रोजेक्ट है जबकि फ्री रेंज टाइगर को लाने के लिए सिर्फ एक साफ्ट इन्क्लोजर की आवश्यकता होगी। जब टाइगर को यहां पर लाया जाएगा तो उसे कुछ दिनों के लिए निगरानी में रखा जाएगा। जब वह नए वातावरण के प्रति अभ्यस्त हो जाएगा तो फिर उसे खुले में छोड़ दिया जाएगा। इसके लिए वन्य जीवों की पर्याप्त जनसंख्या होना जरूरी है जिससे उसे नियमित शिकार मिलता रहे। यह शर्त माधव नेशनल पार्क पूरी करता है। इसलिए फ्री रेंज टाइगर जल्दी आ सकता है। इन्हें बांधवगढ़ से लाए जाने की योजना है।
श्रेय लेने में दिग्गज आगे, बजट का अभी पता नहीं
टाइगर प्रोजेक्ट में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर स्थानीय सांसद केपी यादव तक काफी रुचि दिखा रहे हैं। इसके साथ ही स्थानीय जनप्रतिनिधि भी इसे शहर के पर्यटन के लिए अहम बता रहे हैं। इस प्रोजेक्ट को लेकर दावे और वादे तो तमाम हैं, लेकिन किसी भी नेता ने अभी तक बजट के संबंध में कोई सकारात्मक पहल नहीं की है। टाइगर सफारी के लिए अभी बजट स्वीकृत नहीं हुआ है। गत दिनों सांसद ने केंद्र के मद से बजट दिलाने की बात कही थी। उन्होंने जू अथॉरिटी के सचिव से भी दिल्ली में मुलाकात की है, लेकिन यह मुलाकात प्रोजेक्ट लेआउट के प्रिंसिपल अप्रूवल के लिए थी।
बनना होगा अस्पताल से लेकर फीडिंग सेंटर तक, इसलिए लगेगा समय
टाइगर सफारी की राह बहुत आसान नहीं है क्योंकि इसके लिए बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना होगा। डीपीआर बनने के बाद नेशनल पार्क के अंदर कई बिल्डिंग बनाना होंगी। इसमें टाइगर के लिए फीडिंग सेंटर, अस्पताल, टिकट घर, फील्ड आफिसर की बिल्डिंग आदि कई इमारतें बनेंगी जो कम समय में बनाना संभव नहीं है। इमारत बनाने के साथ इनमें कई उपकरण भी मंगवाने होंगे। यह लंबी प्रक्रिया है जो बजट मिलने के बाद शुरू होगी। इंफ्रास्ट्रक्चर, कंसल्टेंसी, एनओसी, मेंटेनेंस आदि मिलाकर टाइगर सफारी पर करीब 100 करोड़ रुपये का अनुमानित खर्च है।