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कीचड़ भरी सड़क पर धान रोपी,खिरिया मार गांव में सड़क की दुर्दशा का अनोखा विरोध

शिवपुरी।जिले की करैरा जनपद के अंतर्गत ग्राम पंचायत डामरौन खुर्द का छोटा-सा गांव खिरिया मार इन दिनों चर्चा में है। चर्चा की वजह है – गांव की जर्जर सड़क पर ग्रामीणों द्वारा किया गया धान रोपाई का अनोखा विरोध प्रदर्शन। ये विरोध कोई सामान्य विरोध नहीं था, बल्कि स्थानीय प्रशासन की अनदेखी और वर्षों से टूटी-फूटी सड़क की स्थिति से त्रस्त ग्रामीणों का एक व्यंग्यात्मक और सशक्त संदेश था।

हाल ही में हुई बारिश के कारण गांव की मुख्य सड़क कीचड़ से भर गई। यह स्थिति कोई एक-दो दिन की नहीं, बल्कि सालों से चली आ रही है। ग्रामीणों की मानें तो इस सड़क की मरम्मत के लिए कई बार प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से शिकायतें की गईं, लेकिन आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला। अबकी बार ग्रामीणों ने इस बदहाल सड़क को ही खेत मानते हुए उसमें धान की रोपाई कर दी-ताकि शासन-प्रशासन को हकीकत का आईना दिखाया जा सके।

गांववासियों का कहना है कि वर्षों से सड़क का न तो कोई निरीक्षण हुआ, न ही मरम्मत। हर साल बारिश में सड़क दलदल में तब्दील हो जाती है। हालात इतने खराब हैं कि बच्चों का स्कूल जाना, या किसी बीमार को अस्पताल ले जाना एक बड़ी चुनौती बन गया है। ग्रामीणों का कहना है कि अब केवल सड़कों पर चलने के बजाय खेती करने का ही विकल्प बचा है।

शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों पर असर

सड़क की बदहाली ने गांव के बच्चों की शिक्षा व्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया है। कीचड़ और जलभराव के चलते बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। वहीं, यदि किसी को अचानक इलाज की जरूरत पड़े तो उस स्थिति में गांव से बाहर निकलना ही लगभग असंभव हो जाता है। ग्रामीणों ने कई बार ऐसे उदाहरण गिनाए जब मरीजों को अस्पताल तक ले जाने में घंटों लगे।

प्रशासन को अल्टीमेटम

इस विरोध प्रदर्शन के साथ ही ग्रामीणों ने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है कि यदि सात दिनों के भीतर सड़क मरम्मत का कार्य शुरू नहीं हुआ, तो वे अगले मंगलवार को शिवपुरी जिला कलेक्ट्रेट का घेराव करेंगे। उनका कहना है कि यह विरोध अभी प्रतीकात्मक है, लेकिन यदि समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे।

ग्रामीणों के विरोध के बाद क्या जागेगा प्रशासन

यह विरोध प्रदर्शन न केवल प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह दर्शाता है कि जब आम जनता की बात लगातार अनसुनी की जाती है, तो वे कैसे अपनी बातों को सामने लाने के लिए रचनात्मक और प्रतीकात्मक तरीके अपनाते हैं।

अब देखना यह है कि क्या खिरिया मार के इस कीचड़ में बोई गई धान की फसल प्रशासन की आंखें खोल पाएगी? या फिर यह मामला भी कुछ दिनों में भुला दिया जाएगा