Home Crime news दुष्कर्म मामले में आरोपी को सत्र न्यायालय ने किया दोषमुक्त

दुष्कर्म मामले में आरोपी को सत्र न्यायालय ने किया दोषमुक्त

शिवपुरी।शिवपुरी के पुलिस थाना कोतवाली से जुड़े एक बहुचर्चित दुष्कर्म मामले में सत्र न्यायालय का फैसला समाज और कानून के बीच एक गहन संवाद का विषय बन गया है। लगभग एक वर्ष पूर्व एक महिला द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर, पुलिस ने एक व्यक्ति, सुनील, के खिलाफ दुष्कर्म, शारीरिक शोषण, और जान से मारने की धमकी जैसी गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। लेकिन, अभियोजन पक्ष के तमाम प्रयासों के बावजूद, सत्र न्यायालय ने आरोपी को सभी आरोपों से दोषमुक्त कर दिया।
यह फैसला केवल एक कानूनी प्रक्रिया का परिणाम नहीं, बल्कि हमारी न्यायिक प्रणाली की कार्यप्रणाली पर प्रकाश डालता है। यह दर्शाता है कि कानून भावनाओं या प्रथम दृष्टया आरोपों के आधार पर नहीं, बल्कि ठोस सबूतों, साक्ष्यों और गहन न्यायिक जांच के आधार पर ही किसी व्यक्ति को दोषी ठहराता है। इस मामले में, आरोपी की ओर से अधिवक्ता गजेंद्र यादव और उनकी टीम ने जिस तरह से तथ्यों को प्रस्तुत किया, वह दर्शाता है कि एक कुशल और तर्कपूर्ण कानूनी पैरवी न्याय की दिशा को कैसे प्रभावित कर सकती है।
इस फैसले के कई महत्वपूर्ण आयाम हैं। सबसे पहले, यह “दोषी साबित होने तक निर्दोष” के सिद्धांत को पुष्ट करता है, जो हमारी न्याय प्रणाली की आधारशिला है। यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी व्यक्ति को केवल आरोप लगने मात्र से ही अपराधी न मान लिया जाए। दूसरा, यह दिखाता है कि जब तक पुलिस और अभियोजन पक्ष पुख्ता सबूत पेश नहीं कर पाते, तब तक अदालतें केवल आरोप पत्र के आधार पर फैसला नहीं सुनातीं।
हालांकि, इस तरह के मामलों में दोषमुक्ति कई बार पीड़ित के मन में न्याय व्यवस्था के प्रति निराशा भी पैदा कर सकती है। यह महत्वपूर्ण है कि हम इस बात को समझें कि कानूनी प्रक्रिया का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी निर्दोष व्यक्ति अनावश्यक रूप से दंडित न हो। इस मामले में भी, न्यायालय ने उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर ही फैसला लिया है, न कि किसी पूर्वाग्रह से प्रेरित होकर।