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पांच साल से न्याय की भीख,3.5 लाख की हकदार विधवा लेकिन सिस्टम को चाहिए ‘कट’

शिवपुरी जिले के करैरा क्षेत्र से शिक्षा विभाग की संवेदनहीनता और भ्रष्टाचार की एक शर्मनाक तस्वीर सामने आई है। स्व.सहायक शिक्षक पंकज भार्गव की पत्नी रचना भार्गव बीते पांच वर्षों से अर्जित अवकाश के 3.5 लाख के भुगतान के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर काट रही हैं, लेकिन न्याय की जगह उन्हें मिल रही है केवल उपेक्षा और रिश्वत की मांगें।

140 दिन का अवकाश — 3.5 लाख की देनदारी, लेकिन भुगतान रोक दिया गया

रचना भार्गव ने बताया कि उनके पति करैरा के में सहायक शिक्षक थे, जिनका निधन लगभग पांच वर्ष पूर्व हो गया। उनके द्वारा लिए न गए 140 दिनों के अर्जित अवकाश का बिल 3.5 लाख के करीब बनता है, जिसकी सभी फाइलिंग और प्रक्रियाएं पूर्ण हो चुकी हैं।

जानकारी के अनुसार, बिल कन्या विद्यालय संकुल करैरा से जनरेट होकर आगे स्वीकृति के लिए भेजा गया, लेकिन खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) स्वीटी मंगल द्वारा इसे अनुचित रूप से रोक दिया गया है।

बाबू ने मांगी रिश्वत, पीड़िता ने लगाए गंभीर आरोप

रचना भार्गव का आरोप है कि जब वह भुगतान में हो रही देरी का कारण जानने कन्या विद्यालय संकुल करैरा पहुंचीं, तो वहां कार्यरत बाबू धर्मेंद्र लोधी ने उनसे राशि जारी करने के बदले मोटी रिश्वत की मांग की। एक विधवा से उसके वैध हक के बदले पैसे मांगना न केवल अमानवीय है, बल्कि गैरकानूनी भी है।

मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज, फिर भी न्याय अधूरा

उन्होंने इस अन्याय के खिलाफ 7 मई 2025 को मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में शिकायत (स्तर L3 पर लंबित) भी दर्ज कराई है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। शिकायत तीन महीने से ज्यादा समय से अटकी पड़ी है, जिससे साफ है कि निचले से लेकर ऊपरी स्तर तक कोई भी जिम्मेदार नहीं बनना चाहता।

क्या यही है गुड गवर्नेंस का चेहरा

इस मामले ने शिक्षा विभाग की कार्यशैली और ज़मीनी स्तर पर फैले भ्रष्टाचार की पोल खोलकर रख दी है।

सवाल यह है कि एक विधवा को अपने अधिकार के 3.5 लाख के लिए कब तक दर-दर भटकना पड़ेगा रिश्वत मांगने वालों पर कब होगी कार्रवाई?
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