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जनसुनवाई: बैंक से पैसा न मिलने, मंदिर निर्माण रुकने और नसबंदी फेल होने पर उठे सवाल

शिवपुरी। शिवपुरी जिला मुख्यालय पर मंगलवार को आयोजित जनसुनवाई में आम जनता से जुड़ी तीन प्रमुख समस्याएं सामने आईं, जो प्रशासन के त्वरित हस्तक्षेप की मांग कर रही हैं। इन मामलों में एक महिला को अपने ही बैंक खाते से पैसे निकालने में आ रही दिक्कतों के कारण इलाज और घर खर्च में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, एक प्राचीन मंदिर का पुनर्निर्माण राशि के अभाव में अधूरा पड़ा है, और एक गरीब महिला नसबंदी ऑपरेशन फेल होने के बाद चौथे बच्चे के जन्म से परेशान है और मुआवजे की गुहार लगा रही है।
बैंक से पैसे न मिलने से महिला परेशान:
पिछोर तहसील के ग्राम भंगुआ निवासी ऊषा जाटव ने जनसुनवाई में अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए बताया कि उनका खाता जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में है, लेकिन जब भी वह पैसे निकालने जाती हैं, बैंककर्मी उन्हें यह कहकर बाहर निकाल देते हैं कि पैसे नहीं हैं। ऊषा जाटव ने बताया कि वह 17 जून को भी इस संबंध में आवेदन दे चुकी हैं, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने अपनी तत्काल आवश्यकता बताते हुए इलाज और घर के खर्च के लिए अपने खाते से पैसे निकालने की अनुमति की मांग की।
प्राचीन मंदिर का पुनर्निर्माण अधूरा:
पोहरी तहसील के ग्राम बछौरा के श्रद्धालुओं ने जनसुनवाई में प्राचीन श्रीरामजानकी मंदिर के पुनर्निर्माण में आ रही बाधाओं से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए प्रशासन द्वारा 10 लाख 50 हजार रुपये स्वीकृत किए गए थे, जिसमें से पहली किश्त के रूप में 3 लाख 25 हजार रुपये जारी किए गए थे। इस राशि से काम शुरू हुआ, लेकिन दूसरी किश्त अब तक नहीं मिली है, जिससे निर्माण कार्य रुक गया है और अब तक किया गया काम भी खराब हो रहा है। श्रद्धालुओं ने चेतावनी दी कि यदि राशि शीघ्र जारी नहीं की गई तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
नसबंदी फेल होने पर महिला ने मांगा मुआवजा:
पिछोर तहसील के ग्राम विजयपुर निवासी बिरछा वंशकार ने एक गंभीर शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि उन्होंने 25 जनवरी 2024 को खोड़ के स्वास्थ्य केंद्र में नसबंदी कराई थी, लेकिन यह ऑपरेशन फेल हो गया और 29 सितंबर को उनके चौथे बच्चे का जन्म हुआ। महिला ने अपनी आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए कहा कि वह पहले से ही तीन बच्चों की मां है और चौथे बच्चे का लालन-पालन करना उनके लिए अत्यंत कठिन है। उन्होंने शासन से मुआवजा राशि दिलवाने की मांग की ताकि वह अपने नवजात की परवरिश कर सके।
तीनों ही मामलों में पीड़ितों ने कलेक्टर से त्वरित और प्रभावी कार्रवाई की मांग की है, ताकि उन्हें न्याय मिल सके और उनकी समस्याओं का समय रहते समाधान हो सके। इन मामलों पर प्रशासन की अगली कार्रवाई का इंतजार है।