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सिंघम का रोल, सिस्टम का गोल,शिवपुरी ट्रैफिक: जनता फँसी, प्रभारी व्यस्त – मोबाइल और मीडिया में मस्त

शिवपुरी। शिवपुरी की ट्रैफिक व्यवस्था दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। शहरवासी जाम और अव्यवस्था से त्रस्त हैं, वहीं ट्रैफिक प्रभारी रणवीर सिंह यादव खुद को ‘सिंघम’ समझते हुए सड़कों पर रौब झाड़ते नजर आते हैं। लेकिन सवाल यह है कि जब प्रभारी इतने सक्रिय हैं, तो फिर शहर की यह बदहाल स्थिति क्यों?

प्रमुख चौराहों, बस स्टैंड, कोर्ट रोड और अस्पताल चौराहा मार्ग पर दिनभर ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी रहती है। आमजन, स्कूली बच्चे, मरीज और कामकाजी लोग हर दिन इस परेशानी से जूझते हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि रणवीर सिंह यादव की सक्रियता केवल चालान काटने और मीडिया में छपने तक सीमित है। यातायात को व्यवस्थित करने के लिए कोई ठोस रणनीति या प्लानिंग जमीन पर नहीं दिखती।

एक बुज़ुर्ग नागरिक ने कहा, “ये साहब तो कैमरे के सामने खूब एक्टिव दिखते हैं, लेकिन जमीनी हालात बिल्कुल उलटे हैं। प्रभारी साहब को पब्लिसिटी ज़्यादा पसंद है, ड्यूटी कम। अगर यही हाल रहा तो शिवपुरी को ‘जामपुरी’ कहेंगे लोग।”

हालत यह है कि स्कूल बसें देरी से पहुँच रही हैं, ऐम्बुलेंसें जाम में फँसी हैं, और व्यापारियों को भी नुकसान हो रहा है। इसके बावजूद, ट्रैफिक पुलिस की नींद अब तक नहीं टूटी है।

प्रश्न जनता का: ‘सिंघम’ साहब, सड़कों पर आइए या कुर्सी छोड़िए!

शिवपुरी की जनता अब सवाल कर रही है – क्या ट्रैफिक सुधारने के लिए केवल मीडिया में दिखना काफ़ी है? या कभी वाक़ई सड़क पर उतर कर नियमों को लागू करना भी ज़रूरी है?

अब देखना यह है कि ‘सिंघम’ की छवि में घूमने वाले रणवीर यादव वास्तव में व्यवस्था सुधारते हैं या फिर यह छवि सिर्फ दिखावे तक ही सीमित रह जाएगी।