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Shivpuri news-विधिक सेवा समिति पिछोर में कार्यरत अधिवक्तागण के साथ मध्यस्थता जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

शिवपुरी-प्रधान जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री विनोद कुमार के मार्गदर्शन में तथा जिला न्यायाधीश एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्रीमती अर्चना सिंह की अध्यक्षता में आज शुक्रवार को वर्चुअल माध्यम से तहसील विधिक सेवा समिति पिछोर में कार्यरत अधिवक्तागण के साथ मध्यस्थता जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में अर्चना सिंह द्वारा अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान में मध्यस्थता एवं लोक अदालत दोनों ही न्याय के परंपरागत तरीकों के समान ही लोकप्रिय हो रहे हैं। इन पद्धतियों से सुलह कराने पर पक्षकार सबसे अधिक लाभान्वित होते हैं। एक तो उनका समय बचता है दूसरे उनकी कोर्ट फीस वापस हो जाती है एवं पक्षकारों का विवाद हमेशा के लिए खत्म हो जाता है और यह सब वकील के सहयोग के बिना संभव नहीं है।शिवपुरी जिले में नेशनल लोक अदालत के आंकड़े अत्यंत प्रशंसनीय रहे हैं। इसी के साथ-साथ मध्यस्थता भी सफलतापूर्वक लोगों में प्रचलित हो रही है और इसका पूरा श्रेय जिला शिवपुरी के अधिवक्तागण को जाता है क्योंकि उनके द्वारा उक्त दोनों ही प्रक्रियाओं में स्वयं पूरा सहयोग करने के साथ-साथ पक्षकारों को भी तैयार किया जाता है।जिला न्यायाधीश अर्चना सिंह के द्वारा उपस्थित अधिवक्ताओं को मेडिएशन के प्रावधानों से अवगत कराने के अतिरिक्त की प्रक्रिया भी समझाई।सचिव द्वारा बताया गया कि मध्यस्थ को न्यायाधीश के समान तटस्थ रहते हुए दोनों पक्षों को सुना जाता है और दोनों पक्षों को उत्प्रेरित किया जाता है कि वह स्वतः समझौते की शर्ते तैयार करें। मध्यस्थ स्वयं कोई निर्णय नहीं लेता। उसका दायित्व होता है कि वह एक पक्ष से हुई चर्चा व उनके द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों को गुप्त रखें तथा समझौते पश्चात न्यायालय द्वारा डिक्री पारित किए जाने पर उक्त डिक्री अथवा आदेश अंतिम होता है। मध्यस्थ उक्त मामले में पश्चातवर्ती प्रक्रम पर भी पैरवी नहीं कर सकता। कार्यक्रम में न्यायिक मजिस्ट्रेट श्री उमेश कुमार भगवती भी उपस्थित रहे जिनके द्वारा मध्यस्थता प्रक्रिया के संबंध में अधिवक्ताओं को जानकारी दी गई तथा बताया गया कि वर्तमान समय में न्यायालय में बहुत मामले लंबित हैं इसलिए पक्षकार यदि न्याय के वैकल्पिक समाधानों की तरफ ध्यान दें तो वे शीघ्र लाभान्वित हो सकते हैं। उच्च न्यायालय मध्यप्रदेश द्वारा बहुत शीघ्र इस हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे जो कि कोरोना वायरस के कारण टालने पड़े तथा समस्त शमन योग्य मामलों में मध्यस्था की जा सकती है।