Shivpuri:-तहसीलदार सिद्धार्थ शर्मा के फ़र्ज़ी हस्ताक्षर कर,करवा दिया फ़र्ज़ी नामांतरण

शिवपुरी। शिवपुरी में तहसीलदार के फर्जी हस्ताक्षर कर फर्जी नामांतरण का मामला सामने आया हैं। यहां एक बिक्रेता की जमीन क्रेता के नाम नामांतरित कर दी गई। इस मामले की ख़ास बात हैं कि महीनों पुराना मामला होने के बावजूद शिवपुरी तसीलदार की जानकारी में होने के बाद भी मामले को तहसील कार्यालय में ही लटकाकर रखा गया। जबकि कलेक्टर द्वारा भी इस फर्जी हस्ताक्षर के मामले में तहसीलदार को जांच के निर्देश दिए थे। फिर तहसील कार्यालय से जांच को आगे नहीं बढ़ाया गया। बता दें कि कलेक्टर के पुनः हस्तक्षेप के बाद फर्जी हस्ताक्षर के मामले की जांच के आदेश किये हैं। इसके बाद नायब तहसीलदार, आरआई, पटवारी और एक बाबू इस मामले की जांच करेगा।

निरस्त नामांतरण को फर्जी हस्ताक्षर करवा नामांतरित –

जानकारी के मुताबिक़ विजय गुप्ता नाम के व्यक्ति ने जमीन बिक्रेता उषा गर्ग की जमीन का नामांतरण अपने नाम कराने का आवेदन शिवपुरी तहसील में दिसम्बर 2023 में किया था। लेकिन नामांतरण के प्रकरण में विजय गुप्ता द्वारा मूल दस्तावेज और साक्ष्य प्रतुत नहीं किये थे। इसके चलते नामांतरण का आवेदन तहसीलदार सिद्धार्थ भूषण शर्मा द्वारा 5 मार्च 2024 को निरस्त कर दिया गया था।

लेकिन 23 मार्च 2024 को एक आदेश की प्रति सामने आई जिसमें विजय गुप्ता नाम के व्यक्ति ने जमीन बिक्रेता उषा गर्ग की जमीन के नामांतरण की स्वीकृति दे गई इस आदेश में वाक़यादा पटवारी की रिपोर्ट के साथ तहसीलदार सिद्धार्थ भूषण शर्मा के हस्ताक्षर थे। बाद में सामने आया कि 23 मार्च 2024 को जो नामांतरण की स्वकृति दी गई थी। वह आदेश फर्जी तरीके से बनाया गया था। साथ ही इस आदेश पर फर्जी तरीके से तहसीलदार सिद्धार्थ भूषण शर्मा के फर्जी हस्ताक्षर भी किये गए थे।

कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश, तहसील कार्यालय ने लटकाकर रखा मामला, अब होगी जांच, टीम गठित 
कलेक्टर ने 7 दिन के भीतर मांगी रिपोर्ट, तहसीलदार ने लटकाई –

फर्जी नामांतरण के स्वीकृति पत्र का मामला कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी के पास भी पहुंचा था। इस मामले में 21 जून 2024 को तहसील कार्यालय को एक पत्र जारी सात दिन के भीतर जांच की रिपोर्ट मांगी गई थी। कलेक्टर कार्यालय से वाकायदा जांच का पत्र शिवपुरी तहसील कार्यालय पहुंचा था। लेकिन तहसील कार्यालय के बाबू ने इस पत्र को आवक-जावक में नहीं चढ़ाया। वहीँ जांच के आदेश को तहसीलदार सिद्धार्थ भूषण शर्मा अपने पास रखे रहे। जबकि उन्हीं के फर्जी हस्ताक्षर से नामांतरण का आदेश जारी हुआ था। इसके बावजूद फर्जी हस्ताक्षर के मामले को दवा कर रखा गया।

जुलाई माह में आदेश हुआ जारी, होगी जांच –

बताया गया हैं कि जब 7 दिन के भीतर मांगी गई रिपोर्ट कलेक्टर कार्यालय नहीं पहुंची थी। इस मामले में पुनः जांच रिपोर्ट भेजने के लिए अवगत कराया गया था। तब कहीं जाकर तहसीलदार सिद्धार्थ भूषण शर्मा द्वारा जांच टीम बनाकर जांच के आदेश दिए हैं। इस टीम में नायब तहसीलदार, आरआई, पटवारी और एक बाबू इस मामले की जांच करेगा। जो अब सात दिनों के भीतर फर्जी नामांतरण के आदेश की जांच कर सौंपेगा।   

तहसीलदार का बयान –

इस मामले में  तहसीलदार  का कहना हैं कि नामांतरण का आदेश फर्जी हैं। यह आदेश उनके द्वारा नहीं किया गया हैं। इस मामले में जांच दल गठित कर दिया गया। सात दिन के भीतर जांच दल प्रतिवेदन सौंपेगा। इसके बाद कार्यवाही को आगे बढ़ाया जाएगा। 

सिद्धार्थ भूषण शर्मा तहसीलदार शिवपुरी

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